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कुशवाहा का क्या है नया पैंतरा? क्या है जनहित के लिए शहादत का दांव?

पटना : रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक बेचैनी बढ़ती ही जा रही है। कारण न तो उन्हें महागठबंधन खरीद पा रहा, और ना वे एनडीए में ही अपनी मनमाफिक मार्केटिंग कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने अब नया पैंतरा लिया है। उनका नया आइडिया—जनहित यानी, शिक्षा के मुद्दे पर शहीद होने की है। राजग में रहने के लिए उन्होंने बिहार में सीएम नीतीश के नालंदा मॉडल की जगह अपनी शैक्षिक नीतियों को लागू करने की मांग रखी है। माना जा रहा है कि शिक्षा, जिसे लेकर वे लंबे समय से अभियान चला रहे हैं, के गैर राजनीतिक मुद्दे पर वे राजग में दबाव बनाने की नई कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अगर उनकी इस मांग को अगर तवज्‍जों नहीं दी जाती है तो वे जनहित से जुड़े मुद्दे पर राजग छोड़ शहीद होने की कोशिश करें तो आश्‍चर्य नहीं।

नीतीश को शिक्षा के मसले पर बहस की खुली चुनौती

अपने इसी मुहिम के तहत एनडीए से नाराज चल रहे रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने बिहार के सीएम नीतीश सरकार को शिक्षा के मसले पर बहस की खुली चुनौती दी। आज यानी सोमवार को कुशवाहा ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि शिक्षा के नाम पर सीएम नीतीश मुझसे खुली बहस करें। यदि मैं इस बहस में गलत साबित हुआ तो सीट शेयरिंग क्या मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। कुशवाहा ने कहा कि आज बिहार की सरकार शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं होता। नीतीश के नालंदा मॉडल पर उपेन्द्र कुशवाहा ने जोरदार हमला करते हुए कहा कि आरएलएसपी जल्द ही शिक्षा के इस नालंदा मॉडल को हटाएगी।

लालू का जिक्र करते हुए कुशवाहा ने कहा कि लालू जी के चरवाहा विद्यालय के नाम पर अब बिहार सरकार खुद को बचा नहीं सकती है। सेंट्रल स्कूल के मामले में सफाई देते हुए कुशवाहा ने अपने ऊपर लग रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि जमीन के लिए उपेंद्र कुशवाहा खुद आंदोलन करेगा। इस कड़ी में औरंगाबाद के देवकुंड और नवादा में उपवास किया जाएगा जो कि 8 और 9 दिसंबर को होगा। उपेंद्र कुशवाहा ने शिक्षा में सुधार के लिए बिंदुबार प्रश्न पूछा और कई विद्यालयों की समस्या को उजागर किया। कुशवाहा ने कहा कि राज्य के गरीब बच्चों के हित के लिए नालंदा मॉडल जल्दी ध्वस्त होगा। मालूम हो कि कुशवाहा ने बिहार की शिक्षा में सुधार के लिए 25 सूत्री मॉडल सुझाया था जिसको लेकर बिहार में राजनीति तेज हो गई है।