इशारों-इशारों में नीतीश के सामने ललन पर अंदेशा जता गए कुशवाहा

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पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए छोड़ने के बाद कई मोर्चों पर एकसाथ मुश्किल वाली परिस्थितियों में फंस गए हैं। एक तरफ राष्ट्रीय स्तर पर मिशन 2024 के लिए विपक्षी एकता की चुनौती तो दूसरी तरफ अपनी पार्टी जदयू का अस्तित्व बचाने की फिक्र। जले पर नमक यह कि महागठबंधन के बड़े साथी राजद के कतिपय नेताओं और मंत्रियों द्वारा गाहे—बेगाहे उनके नेतृत्वशैली और कार्यप्रणाली पर छींटाकशी। सबने मिलकर नीतीश की नाक में दम कर दिया है। विपक्षी भाजपा के हमलों को तो आप छोड़ ही दें अब उनके अपनों ने ही कुछ ऐसा कह दिया है कि उनकी नींद उड़ी हुई है। नीतीश की ताजा और अलार्मिंग परेशानी तब सामने आई जब उनके ही एक खासमखास पार्टी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू राज्य परिषद के मंच से मुख्यमंत्री के सामने ही नीतीश के एक अन्य करीबी को इशारों—इशारों में ‘घर का भेदी’ होने का अंदेशा जता दिया। हालांकि उन्होंने खुलकर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा ललन सिंह की तरफ ही था।

जदयू में थम नहीं रही सियासी मारामारी

दरअसल बीते दिन जदयू पार्टी दफ़्तर में उमेश कुशवाहा को फिर से प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के लिए राज्य परिषद की बैठक बुलाई गई थी। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सिंह समेत तमाम नेता मौजूद थे। इस दौरान जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने उमेश कुशवाहा को बधाई देने के क्रम में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री जी आपसे मेरी एक प्रार्थना है। आप पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओ से समय-समय पर मुलाकात करते रहे हैं। इससे कार्यकर्ता और नेता उत्साहित भी होते हैं। लेकिन आपसे एक विशेष आग्रह है कि आप अकेले में भी कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात किया कीजिए। चूंकि कई लोग आपसे मुलाकात तो कर लेते हैं लेकिन अपने दिल की बात या फिर पार्टी की सच्ची और जरूरी बात नहीं कह पाते। इसकी एक बड़ी वजह है कि जब वो ऐसी बात बोलना चाहते हैं तो आपके साथ कुछ लोग बैठे रहते हैं, जिनकी वजह से आपसे मिलने वाले दिल की बात नहीं कर पाते हैं।

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पार्टी बैठक में नीतीश भी रह गए हैरान

कुशवाहा यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के प्रमुख नेता होने के नाते अगर मुख्यमंत्री जी अकेले में कुछ लोगों से मिलेंगे तो आपको कई जरूरी जानकारी समय पर आपको मिल जाएगी। इसके पहले भी आपने जिन्हें बड़ा मौका दिया था, उन्होंने पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया। एक दिन में तो वो ऐसा कर नहीं पाए होंगे, ऐसे में अगर समय रहते उसकी जानकारी मिलती रहती तो शायद इस नुकसान को रोका जा सकता था। साफ है कि कुशवाहा ने यहां आरसीपी सिंह का उदाहरण संकेत रूप में सामने रखते हुए नीतीश कुमार के सामने असल वार राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर किया। इशारों—इशारों में उपेंद्र कुशवाहा के इस वक्तव्य ने जदयू के भीतर मची उठापटक के भी अंदर—ही— अंदर सुलगने की बात भी बेपर्दा कर दी। अब नीतीश कुमार के बड़ा टेंशन देने के लिए कुशवाहा का इशारा एक ऐसे सियासी बम की तरह जदयू में लुढ़का है जो इधर—उधर पार्टी के ‘डी’ एरिया में डोल तो रहा है लेकिन इसके पलीते में चिंगारी की बू भी आने लगी है। कुशवाहा ने यह भी कहा कि जरूरत है सतर्क रहने की और जो कमियां है उसे समय रहते दूर करने की।

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