माधव का आनंद नहीं ले पाए कुशवाहा

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पटना: चुनाव का बिगुल बजते ही बिहार में राजनीतिक दलों का गठबंधन अलग-अलग रूप में सामने आ रहा है। इस दौरान बीते दिन उपेंद्र कुशवाहा ने बसपा के साथ गठबंधन कर नए मोर्चे का एलान किया। कुशवाहा के इस निर्णय से नाराज आरएलएसपी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। माधव आनंद से पहले रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी ने भी कुशवाहा का साथ छोड़ दिया। बीते एक सप्ताह के अंदर RLSP के कई नेताओं ने कुशवाहा का साथ छोड़ दिया हैं।

माधव आनंद ने पार्टी छोड़ते ही उपेंद्र कुशवाहा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने सिर्फ उनका इस्तेमाल किया हैं, कुशवाहा सिर्फ अपने ही बारें में सोचते हैं। पार्टी के नेताओं के बारे में वे कभी भी नहीं सोचते। इस कारण मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे लिए राजद से लेकर कई दलों के रास्ते खुले हुए हैं, एक दो दिनों के अंदर आगे की रणनीति के बारे बताऊंगा।

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बताया जाता है कि माधव आनंद बसपा के साथ गठबंधन को लेकर खुश नहीं थे। बीते दिन प्रेसवार्ता के दौरान माधव आनंद के बॉडी लैंग्वेज से कयास लगाए जा रहा था कि वे कुशवाहा के निर्णय से खुश नहीं हैं। और हुआ भी यही प्रेसवार्ता के बाद माधव आनंद तेजस्वी व राबड़ी से मुलाकात करने राबड़ी आवास पहुँच गए और तीनों नेताओं के बीच 5 घंटे तक बतचीत हुई। हालाँकि, इस मीटिंग को लेकर माधव आनंद ने कहा था कि यह व्यक्तिगत मुलाकात है।

बहरहाल, यह तो तय है कि माधव आनंद जैसे नेताओं के पार्टी से जाने के बाद रालोसपा वैचारिक रूप से कमजोर तो हुई ही है, साथ ही पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माधव के जाने के बाद कुशवाहा को चुनाव में आनंद नहीं आने वाला है।

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