पटना : उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में पार्टी के विलय का एलान किया और कहा कि वे एक बार फिर से अपने पुराने मित्र नीतीश कुमार के साथ आ गए हैं। इस दौरान जदयू के तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अशोक चौधरी,बिजेंद्र यादव, विजय चौधरी,वशिष्ठ नारायण सिंह, ललन सिंह समेत जदयू के कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।
वहीं इस विलय को लेकर कुशवाहा ने कहा कि एक बार फिर से अपने पुराने घर में आ गए हैं। जदयू और रालोसपा के विलय से बिहार में और तेजी से विकास होगा। साथ ही बिहार की राजनीति में हम और ज्यादा सशक्त बनेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद ही पार्टी कार्यकर्ता विलय को लेकर कह रहे थे। इसके बाद बाद यह फैसला लिया गया।
जदयू को देशभर नंबर 1 बनाएंगे
कुशवाह ने कहा कि जदयू को देशभर नंबर 1 बनाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने बहुत उतार चढ़ाव देखा है लेकिन अब वह जदयू के साथ जीवनोपरांत रहेंगे। साथ ही कहा कि उनकी पार्टी से साथ आये किसी भी कार्यकर्ता की कोई भी मज़बूरी या महत्वकांशा नहीं हैं।
वहीँ दूसरी तरफ रालोसपा का जदयू में विलय करवाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कुशवाहा जी से चुनाव के बाद ही इस विषय पर चर्चा हो रही थी। इनके साथ मेरा सबसे पुराना रिश्ता हैं। इसलिए इस चीज़ की मुझे सबसे अधिक खुशी हुई। अब हमलोग साथ मिलकर देश और राज्य की सेवा करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग सोशल मीडिया के जरिए अनाप शनाप बोलते रहते हैं। उनका अधिकार है बोलने का लेकिन उनको पहले सच्चाई जाननी चाइये।
कुशवाह को मिली जदयू राष्ट्रीय संसदीय दल बोर्ड के अध्क्षय की जिम्मेदारी
इसके आलावा उन्होंने कहा कि कुशवाहा जी का बहुत इज्जत ,सम्मान ,प्रतिष्टा है हम उनका सम्मान करते है ,इसलिए जदयू ने फैसला लिया है कि उनको तत्काल प्रभाव से जदयू राष्ट्रीय संसदीय दल बोर्ड का अध्क्षय बनाया जाता है।
विलय इस शर्त पर
वहीं दूसरी तरफ सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार रालोसपा का जदयू में विलय इस शर्त पर तय किया गया है कि जदयू कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता को राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाएगी और मंत्रिमंडल विस्तार कर उन्हें अपने सरकार में जगह देगी। स्नेह लता ने नीतीश कुमार से शिक्षा मंत्रालय की मांग की है। साथ ही कुशवाहा को केंद्र की राजनीति के लिए राज्यसभा भेजा जाएगा।
कुश की राजनीतिक जीवन की शुरुआत जदयू से
जानकारी हो कि अपनी राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौड़ में उपेंद्र कुशवाहा जदयू के ही सदस्य थे । 2005 में जब बिहार में इंडिया की सरकार बनी थी तो उपेंद्र कुशवाहा उस विधानसभा चुनाव में अपने ही क्षेत्र से चुनाव हार गए थे उसके बाद एनसीपी के साथ चले गए थे। लेकिन 31 अक्टूबर 2009 को उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ आ गए थे और 2010 में कुमार ने कुशवाहा को राज्यसभा भेज दिया इसके बाद वह फिर बाद फिर से 4 जनवरी 2013 को जदयू से अलग हो गए थे।
वहीं 3 मार्च को उपेंद्र कुशवाहा अपनी एक अलग पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन करते हुए एनडीए में शामिल हो गए थे। लेकिन 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद वह खुद को एनडीए से अलग कर महागठबंधन के साथ जोड़ लिया था उसके बाद अब फिर से हुआ जदयू में वापसी करने जा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार रालोसपा का जदयू में विलय होने से जब देखो बहुत अधिक फायदा मिलने वाला है क्योंकि बिहार में कुर्मी समुदाय की आबादी 2 से 3% है जबकि कोइरी की आबादी 10 से 11% है जिस पर उपेंद्र कुशवाहा का एक तरफा पकड़ है।
बहरहाल , देखना यह है कि बिहार की राजनीति में कुशवाहा का एक बार फिर से जदयू में शामिल होने से किस दल को कितना अधिक फायदा मिलता है। क्योंकि जहां एक और जदयू कुशवाहा बहुत अपने पाले में करने की कोशिश में लगेगी तो वही उपेंद्र कुशवाहा भी इस बात का लाभ उठाना चाहेंगे।