जानें मोदी सरकार क्यों कर रही IAS कैडर रूल्स में बदलाव, क्या होंगे नए नियम?

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केंद्र सरकार आईएएस कैडर रूल्स 1954 (IAS Cadre Rules 1954) में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। केंद्र ने राज्यों से 25 जनवरी तक इस पर अपनी राय देने को कहा है। इस संशोधन के साथ ही IAS अधिकारियों के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति ट्रांसफर संबंधित शक्तियां केंद्र सरकार के पास आ जाएगी। इससे पहले IAS Officers के ट्रांसफर संबंधित शक्ति उस राज्य सरकार के पास होती थी, जिस राज्य में आईएएस अधिकारी की तैनाती होती थी। आंकड़ों की बात करें तो 2014 तक तय कोटे के अनुसार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारीयों का प्रतिशत 69 था, जो कि 2021 में घटकर 30 हो गया है।

बिहार ने पुराने नियम को सही बताया

केंद्र सरकार के संशोधन वाली कानून पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत महाराष्ट्र छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु समेत सभी गैर भाजपा शासित प्रदेश ने आपत्ति जताई है। यहाँ तक कि भाजपा शासित प्रदेश मध्य प्रदेश ने पुनर्विचार करनी की बात कही तो, बिहार के मुख्य सचिव ने पुराने नियम को सही बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि ऐसा करने से संघीय तानाबाना और संविधान का मूलभूत ढ़ांचा नष्ट हो जाएगा।

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इस मामल पर गैर भाजपा शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और आईएएस अफसरों ने एक-दुसरे का समर्थन किया है। जानकारी के मुताबिक बजट सत्र में सरकार संशोधन बिल को लाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में अगर काडर के नियमों में बदलाव किया जाता है, तो राज्य सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर केंद्र सरकार आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर कर सकेगी।

क्या हैं मौजूदा IAS Cadre नियम

IAS Cadre नियम 1954 के अनुसार अफसरों को की भर्ती केंद्र सरकार करती है। इसके बाद जब उन्हें उनके राज्य के कैडर आवंटित कर दिए जाते हैं, तो इसके बाद वह अफसर उस राज्य के अधीन आते हैं। 1954 के नियमों के मुताबिक जिस राज्य का कैडर दिया गया है उस राज्य और केंद्र सरकार की सहमति से ही किसी अफसर को केंद्र सरकार या किसी दूसरे राज्य में प्रतिनियुक्ति मिल सकती है। यदि प्रतिनियुक्ति में राज्य और केंद्र सरकार में आपस में किसी तरह की असहमति होती है, तो अंतिम फैसला केंद्र सरकार का ही माना जाता है और राज्य सरकार को इस फैसले को मानना होता है।

IAS Cadre नियम में सरकार क्या बदलाव कर रही?

केंद्र सरकार जनहित का हवाला देकर अफसर को केंद्र में पोस्ट कर सकती है। जिस राज्य के कैडर से वह अफसर संबंध रखता है उस राज्य को तय समय-सीमा के भीतर केंद्र के फैसले को लागू करना होगा। संसोधन में यह भी प्रस्ताव है कि यदि कोई राज्य सरकार समय पर केंद्र के फैसले को लागू नहीं करती और उक्त अधिकारी को उसकी राज्य की सेवाओं से मुक्त नहीं करती है, तो केंद्र सरकार की ओर से तय तारीख से ही अधिकारी को अपने राज्य के कैडर से मुक्त मान लिया जाएगा।

बीच का रास्ता

प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम परिवर्तन की घोषणा भर से केंद्र व राज्यों के बीच टकराव की स्थिति आने लगी है। ऐसे में एक बीच का रास्ता केंद्र निकाल सकता है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की देखरेख में एक राज्यवार सर्वे करा ली जाय, जिससे यह पता चल सके कि कौन-कौन से प्रान्त निर्धारित संख्या से कम अधिकारियों को केंद्रीय सेवा के लिए भेज रहे हैं और तदनुसार आईएएस अधिकारियों का कोटा उस राज्य विशेष के लिए कम कर दिया जाय।

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