कोटा में फंसे बच्चे हो रहे डिप्रेशन के शिकार, बिहार आने को लेकर अगली सुनवाई लॉकडाउन के बाद
पटना : देश में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इस वायरस के कहर को कम करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन कानून लागू है। भारत की जनता जहां है वर्तंमान में वहीं रह रही है।इस बीच राजस्थान के कोटा से एक खबर निकल कर सामने आ रही है की कोटा में घर वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठे बिहारी छात्रों के खिलाफ पुलिस ने थाने में प्राथमिकी दर्ज की है। इस तरह कोटा में फसें छात्रों यह बहुत ही विकट परिस्थिति है।
हाईकोर्ट में टली सुनवाई अब 5 मई को होगा फैसला
कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को वापस बिहार लाने पर हर रोज सियासत की गलियों में सवाल -जबाब का सिलसिला जारी है। गौरतलब है कि बिहार के मुखिया ने साफ कह दिया है की हम कोटा से किसी भी बच्चे को वापस नहीं लाएंगे। यह लॉकडाउन कानून का उल्लंघन होगा। नीतीश कुमार ने कोटा में फंसे बच्चों को लेकर केंद्र सरकार को निर्णय लेने को कहा है। हालांकि बिहार सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह लॉकडाउन के दौरान बाहर से लोगों को राज्य में नहीं आने देना चाहती है।
जिसके बाद कोटा में फंसे स्टूडेंट के अभिभावकों ने न्यायालय का दरवाजा तक खटखटाया है। जिसपर आज वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए सुनवाई होनी थी पर अब यह सुनवाई दूसरे लॉकडाउन के लिए निर्धारित समय के बाद 5 मई को होगी।
कोटा में फंसे बिहारी बच्चे डिप्रेशन का शिकार
कोटा शहर के सब इंस्पेक्टर मोहन लाला ने बताया कि बच्चों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गई है। बच्चों के ऊपर विरोध प्रदर्शन कर लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है। कोटा में फंसे बिहारी बच्चों का कहना है कि अगर दूसरे राज्यों की तरह बिहार सरकार उनकी सुध नहीं लेती है तो अब उनके पास आखिरी विकल्प अपना जीवन छोड़ने का होगा। कोटा में फंसे बिहारी बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।