किसानों के लिए संसद का 21 दिवसीय विशेष सत्र बुलाए सरकार : पी साईंनाथ

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पटना : कृषि एवं किसानी संकट पर संसद का 21 दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर आज पटना के गांधी संग्रहालय में एकदिवसीय विमर्श किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में कृषि और ग्रामीण इलाकों के जाने माने पत्रकार पी साईनाथ (पलागुमम्मि साईनाथ) मौजूद रहे। उन्होंने किसानों की समस्या से जुड़़े मामलों और उनके द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाने बारे में विस्तार से चर्चा की। साथ ही उन्होंने जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) द्वारा ‘राष्ट्राव्यापी संविधान यात्रा’ जो कि दांडी से 2 अक्टूबर को निकल कर 10 दिसंबर 2018 को 26 राज्यों से होते हुए दिल्ली जाएगी, उसमें सभी किसानों और आमलोगों से शामिल होने की अपील की। यह यात्रा 28 और 29 अक्टूबर को पटना पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि जब किसान हमारे लिए 365 दिन काम करते हैं तो क्या हमलोग उनके लिए 2 दिन का समय नहीं निकल सकते। उन्होंने कहा कि किसान दिन पर दिन किसानी छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने इसके लिए किसानों के कर्ज में डूबे होने को वजह बताया। इसके लिए सरकार केवल कर्ज माफ के नाम पर कोई खास फैसला नहीं कर रही।

किसानों के आत्महत्या संबंधी आंकड़ों में जालसाजी

साईंनाथ ने किसानों द्वारा आत्महत्या के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक विभाग ‘राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो’ के डाटा के अनुसार 1995 से 2015 के बीच भारत में 3 लाख से भी ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। और 2015 के बाद यह विभाग अभी कोई रिपोर्ट नहीं जारी की है। और बहुत से राज्यों की सरकार 2011 के बाद अपने राज्य को किसान आत्महत्या मुक्त घोषित करने लगे हैं। 2014 और 2015 में भारत के 12 राज्यों तथा 6 संघ राज्यक्षेत्रों ने खुद को किसान आत्महत्या मुक्त घोषित कर दिया है। इसमें किसान बहुल आबादी वाले राज्य बिहार, राज्यस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। जबकि अभी भी कई राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

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खास मुद्दों को लेकर  विशेष सत्र की मांग

• किसानों को सीधे संसद भवन बुलाया जाए जहां वो खुद अपनी समस्याओं के बारे में बताएं

• कृषि मार्केट पर चर्चा हो, ताकि किसानों को फसल का वाजिब दाम दिलाने का रास्ता निकले
• खेती में प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ तो खेत के मालिक को होगा, बटाईदार को नहीं

• महिला किसान के हक व सम्मान पर चर्चा हो, उन्हें किसानों के बराबर अधिकार मिले
• आंकड़े जुटाने के तरीकों पर भी खुलकर चर्चा हो। एग्रीकल्चर को पब्लिक सर्विस घोषित किया जाए जहां न्यूनतम मजदूरी तय की जाए

• गांवों में कर्ज की सबसे बड़ी वजह है स्वास्थ्य। कर्ज की सबसे बड़ी वजह महंगा इलाज है। कृषि कार्य करने वालों के इलाज का खर्च सरकार उठाए

• खेत मजदूर को भी किसान की तरह सहूलियत मिले। हाल में इनकी आत्महत्याएं बढ़ गई हैं, लेकिन सरकारी परिभाषा में इन्हें किसान नहीं माना जाता।

राजन कुमार

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