पश्चिम चंपारण : वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के टी 32 से सटे बसहवा टोला गन्ने के खेत में भालू का शव होने की भनक ग्रामीणों को लगी। जिसके बाद वन विभाग को इस सम्बन्ध में सूचना दी गई। मृत भालू को देखकर कयास लगाया जा रहा है कि जाल में फंसा कर भालू को मारा गया है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग अधिकारी मौके पर पहुंचे और भालू के शव को गड्ढे से निकाल कर पोस्टमार्टम किया गया। इस बावत गोनौली रेंजर अवधेश सिंह ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा गुप्त सूचना मिली थी कि खेत में भालू के शव को दफनाया गया है। मृत भालू की उम्र लगभग पांच वर्ष और वह मादा थी।
गन्ने की फसल को भालुओं से बचाने के लिए किसी ग्रामीणों ने जाल का इस्तेमाल किया होगा। जिस कारण से भालू की मौत हुई है। बसहवा टोला में भालू का शव मिलने से बड़ी संख्या में मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। भालू का शव मिलने की घटना को वन अधिकारियों ने भी गंभीरता से लेते हुए खेत मालिक को चिन्हित करते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
इस घटना से इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि वीटीआर में बेजुबान और निरीह वन्य प्राणियों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यहां पर कड़ी सुरक्षा और चौबीस घंटे निगरानी वाले टाईगर रिज़र्व में जब भालू ही जब शिकार बन रहे हैं तो सामान्य वन क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्य जीव कितने महफूज हैं। इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। चिंताजनक बात यह है कि यदि शीघ्र संकटग्रस्त वन्य जीवों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने के साथ शिकारियों और तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त नहीं किया गया तो वर्तमान हालत को देखते हुए यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण ना होगा वीटीआर टाईगर रिज़र्व एक बार फिर भालू विहीन हो सकता है।