- किसान श्री से सम्मानित हो चुकी है प्रियंका
नवादा : जिले के हिसुआ प्रखंड अंतर्गत भदसेनी गांव में एक महिला प्रियंका कुमारी बागवानी करने के साथ किसान बनकर नारी सशक्तीकरण का उदाहरण बन गई है। इन्होंने बागवानी कर अपनी जिंदगी को मजबूत किया। साथ ही कैंसर से पीड़ित अपने पति भीम सिंह का भी सफल इलाज करवाई।
प्रियंका ने बताया कि 1978 में उनका विवाह हुआ. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। अचानक 20 साल बाद 1998 में पति भीम सिंह बीमार हो गए। इलाज के दौरान पता चला की भीम सिंह कैंसर से पीड़ित हैं। इसके बाद से कुछ समय के लिए वो टूट सी गई. फिर हिम्मत रखा और नवादा में ही पति का इलाज करवाने लगी। पति के बीमार होने के बाद उनके इलाज के साथ-साथ 5 बच्चों की जिम्मेदारी भी प्रियंका के हाथों में आ गई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी वो बागवानी और कृषि कार्य करने लगी।
किसान श्री से सम्मानित हैं प्रियंका
शुरूआत में प्रियंका ने बागवानी और फूल की खेती शुरू की। मेहनत ने रंग लाया और फूल की अच्छी पैदावार हुई। उन्होंने फूल की बिक्री के लिए वजीरगंज, तुंगी, मंझवे और हिसुआ बाजार स्थित फूलों के व्यापारियों से संपर्क किया। जिसके बाद कई व्यापारी उनके यहां आकर फूल की खरीददारी करने लगे। फूल की बिक्री से कमाए गए पैसों से उन्होंने मकान बनवाया। साथ ही घर के बगल वाले डेढ़ एकड़ की जमीन पर आम, अमरूद और केला की फसल लगाया साथ ही अपनी देखरेख मे कृषि कार्य भी शुरू कर दी।उनके साहसिक कदम को लेकर सरकार ने उन्हें किसान श्री सम्मान देकर सम्मानित किया।
जिला प्रशासन की मदद से कैंसर का इलाज संभव :
कृषि और बागवानी की कमाई से प्रियंका ने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दिया। वर्तमान में उनके दो बच्चे नौकरी में हैं। वहीं, प्रियंका के पति की शुरुआती लोकल ट्रिटमेंट के बाद प्रखंड और जिला प्रशासन की मदद से कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया. जहांं उनका सफल ऑपरेशन किया गया. जिसके कारण भीम सिंह आज स्वस्थ हैं।
कई जगहों पर प्रियंका ने लिया प्रशिक्षण :
इसरे बाग प्रियंका ने बताया कि बागवानी में सफल होने के बाद सरकार की ओर से लखनऊ में बौना प्रकार के अमरुद के पौधे से बड़े अमरुद, नागपुर के किसान मेला के माध्यम से सब्जी उत्पादन, मत्स्य पालन, कुकुट पालन, आसाम में चाय कि बागवानी, उडिसा में धान की खेती, पंजाब में कपास, सोयाबीन, धान, गेहूं, शिमला के प्रशिक्षण के दौरान आलू के बीज के बारे में जानकारी और उनके उत्पादन में बढ़ोत्तरी के गुर और हिमाचल के चंपा जिला अंतर्गत सोलम में मशरूम प्रशिक्षण सहित बिहार के भागलपुर के अलावे कई जगहों से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कृषि प्रचार प्रसार के लिए उनको दिया गया था काम :
इसके अलावे प्रियंका ने लुधियाना के सिफेड में अनेक कृषि यंत्र से कैसे खेती की जाय और फसल उपज में कैसे बढोत्तरी हो का भी सघन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। बताया कि उन्हें जिला में श्री विधि से कृषि कार्य के लिए प्रचार-प्रसार में लगाया गया था। उनके परिश्रम के कारण प्रखंड में दर्जनों एकड़ में खरीफ और रवि फसल की बुआई श्रीविधि से की गई।
बाग में कई किस्म के हैं फल :
बता दें कि प्रियंका के बाग में सबसे अधिक आम के विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगे हैं। जिसमें सुंदर और स्वादिष्ट फल भी लगें हैं। इसके अलावे केला, अमरूद , नींंबू और चंदन के पेड़ भी हैं।
इनके बाग कि खासियत है कि यहांं सालों भर आम का फल मिलता है। इनके बगीचा में कुल 200 से अधिक आम के पेड़ हैं, जिसमें 40 पेड़ आम्रपाली का है जो सालों भर फल देता है। इसके साथ ही वो मेंथी की भी खेती करती हैं। साथ ही अपनी आय बढाने के लिए प्रियंका ने बगीचे में मधुमक्खी का भी पालन किया है।
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