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खर्च करने में बिहार पहली बार इतना आगे, शीर्ष पांच में शामिल

पटना : बिहार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता “सुशासन रहा है। यह प्रत्येक क्षेत्र में सुनिश्चित किया गया चाहे वह कानून व्यवस्था हो या सामाजिक उत्थान राज्य सरकार ने आर्थिक विकास को गति देने के लिए अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में नवाचार प्रयोग किए और “न्याय के साथ विकास” के उद्देश्य के साथ राज्य के विकास की नई गाथा गढ़ी गई। उक्त बातें बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र यादव ने कही।

बिहार देश के अग्रणी पाँच राज्यों में शामिल

राज्य का कुल व्यय पहली बार 2.00 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ है। वर्ष 2004-05 में कुल बजट 23885 करोड़ रुपये था जिसमें से मात्र 20058 करोड़ रुपये ही खर्च हुआ। वहीं वर्ष 2021-22 में बिहार का कुल बजट आकार 218 लाख करोड़ रुपये रखा गया और राज्य सरकार 2.00 लाख करोड़ रुपये व्यय करने में सफल रही हैं जो पिछले वर्ष (2020-21) के व्यय से 21 प्रतिशत ज्यादा है। बिहार देश में 2.00 लाख करोड़ रुपये व्यय करने वाले पाँच बड़े राज्यों में शामिल हो गया है। बिहार के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडू ने 2.00 लाख करोड़ रुपये व्यय की उपलब्धि को हासिल की है। यह बिहार के लिए गर्व की बात है।

कोविड-19 को हराया

वित्तीय वर्ष 2004-05 में कुल व्यय मात्र 20,058 करोड़ रुपये था जो अगले 5 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य का कुल व्यय 1.12 लाख करोड़ रुपये हो गया था। गर्व की बात है कि राज्य सरकार की कार्यकुशलता एवं सामर्थ्य वित्तीय प्रबंधन के फलस्वरूप वर्ष 2021-22 में राज्य ने 2.00 लाख करोड़ रुपये के आँकड़े को पार कर गया।

कुशल वित्तीय प्रबंधन

वर्ष 2021-22 में स्कीम व्यय 84282.37 करोड़ रुपये है जो योजना उद्व्यय का 91.90 प्रतिशत है तथा कुल बजट का 42 प्रतिशत है। इस प्रकार, विकास के कार्यों पर खास कर आर्थिक सामाजिक क्षेत्र पर ज्यादा फोकस रहा है। राजकोषीय घाटा भी राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत के सीमा के अन्दर है। राज्य सरकार ने अपने अनुशासित वित्तीय प्रबंधन द्वारा यह उपलब्धि हासिल किया है।