केरल सरकार को SC का झटका, क्या है विश्व के सबसे अमीर मंदिर की शापित तिजोरी?
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को बड़ा झटका देते हुए विश्व के सबसे धनी मंदिरों में शुमार पद्मनाभस्वामी मंदिर के मैनेजमेंट से उसे बाहर रखने का निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन में त्रावणकोर के राजपरिवार के अधिकार को मान्यता देते हुए कहा है कि तिरुअनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमिटी फिलहाल मंदिर की व्यवस्था देखेगी। मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। मुख्य कमिटी में राजपरिवार की अहम भूमिका रहेगी तथा मंदिर अब राज्य सरकार के स्वामित्व मे नहीं रहेगा।
पद्मनाभस्वामी मंदिर तब सुर्खियों में आया था जब इसकी तिजोरियों में अकूत संपदा का खुलासा हुआ था। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति है। मालूम हो कि मंदिर प्रबंधन को लेकर नौ साल से विवाद चल रहा था। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने करीब तीन महीने तक जिरह सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख दिया था।
जानें B तिजोरी के शाप और अन्य खजानों के बारे में
पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना A से लेकर F नंबर तक की तिजोरियों में बंद है। इनमें से B तिजोरी को शापित कहा जाता है। स्थानीय लोग और पुजारी मानते हैं कि मंदिर की B तिजोरी शापित है। जो भी इसे खोलने की कोशिश करेगा, उसपर दुर्भाग्य टूट पड़ेगा। SC ने A से लेकर F तिजोरियों तक में मौजूद वस्तुओं की इन्वेंट्री के निर्देश दिए थे। हालांकि कहा गया था कि B तिजोरी को बिना SC के स्पष्ट आदेश के नहीं खोला जाएगा। इन्वेंट्री तैयार करते वक्त ही यह अंदाजा लगना शुरू हो गया था कि मंदिर में करीब एक लाख करोड़ रुपये के जवाहरात मौजूद हैं। मंदिर की सुरक्षा एक आईपीएस अधिकारी के हवाले कर दी गई है। परंपरागत रूप से इस मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर का राजपरिवार ही देखता आया है जिसकी कमान इस वक्त मार्तंड वर्मा के हाथ में हैं।
राजपरिवार ने मंदिर संपदा पर नहीं किया दावा
इस केस को वरिष्ठ वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी ने लड़ा तथा कोर्ट ने उनकी दलीलों पर गौर करते हुए निर्णय दिया कि अब मंदिर प्रबंधन के सभी सदस्य हिन्दू ही होगें। सुनवाई के दौरान केरल सरकार और राजपरिवार, दोनों ने ही कहा था कि वे मंदिर की तिजोरियों में मिली संपदा पर कोई दावा नहीं करना चाहते क्योंकि यह सब मंदिर का है। SC ने फिर जवाहरात को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा तत्कालीन सीएजी विनोद राय से 2008-14 के बीच मंदिर ट्रस्ट के खर्च का ऑडिट करने को कहा गया। इन्वेंन्ट्री के लिए SC के पूर्व जज केएसपी राधाकृष्णन के नेतृत्व में एक सिलेक्शन कमिटी बनाई गई थी।
सदियों से राजपरिवार ही करता आया संचालन
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का शुभ समाचार जब त्रावणकोर के युवराज आदित्य वर्मा ने अपनी माँ गौरी लक्ष्मी को सुनाया तो दोनों प्रसन्नता से विलख पड़े। विदित हो कि 6ठी शताब्दी में बने इस भव्य मंदिर का पुर्ननिर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था। इसी शाही परिवार ने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था। स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार ही नियंत्रित ट्रस्ट करता रहा जिसके कुलदेवता भगवान पद्मनाभ हैं।