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केंद्र ने 15 दिन तक पटना के डूबने-उतराने का पूछा कारण, हालात पर पैनी नजर

नयी दिल्ली/पटना : केन्द्र सरकार ने पटना के जलजमाव और उसके बाद उत्पन्न स्थितियों पर पैनी नजर रखते हुए जानना चाहा है कि आखिर किन कारणों से बिहार की राजधानी 15 दिनों तक डूबती-उतराती रही। गृह विभाग में चार अक्टूबर को आये पत्र के बाद संबंधित विभाग ने जवाब दे दिया है। पर, यह जानकारी नहीं मिल सकी कि जवाब में किन कारणों के उल्लेख किये गये हैं।
इसकी पुष्टि गृह विभाग ने तो नहीं की है, पर इतना जरूर कहा कि बिहार के संदर्भ में वहां बाढ़ को लेकर पत्र भेजा गया था। बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग के उक्त कड़े पत्र के बाद बिहार सरकार हरकत में आयी और सत्ता की परिक्रमा करने वाले पदाधिकारियों का भी तबादला बड़े स्तर पर कर दिया। हालोंकि इसे आई-वॉश माना जा रहा है, क्योंकि सरकारी नौकरी में तबादला और सस्पेंशन कोई सजा नहीं माना जाता। इसे महज नौकरी का एक हिस्सा माना जाता है।

समुचित बजट के बाद भी पटना क्यों डूबा?

सूत्रों ने बताया—संभव है कि केन्द्र उन कारणों की पड़ताल भी करे कि समुचित बजट के बावजूद नगर का विकास क्यों नहीं हो रहा है। अव्वल तो यह कि पूरी राजधानी को डूबो कर करोड़ों की क्षति पहुंचा दी। खास कर ऐसी स्थिति में जब पटना को स्मार्ट सिटी का दर्ज देते हुए राशि भी आवंटित कर दी गयी थी।
जानकारी के अनुसार प्रशासन के बड़े हुक्मरान और नेता डूबती-उतराती राजधानी को प्राकृतिक प्रकोप कह कर पिण्ड छुड़ा लेना चाहते थे। लेकिन, प्राकृतिक आपदा नामक टर्मोनोलाॅजी को मीडिया ने विश्लेषण करते हुए खारिज कर दिया और इसे विशुद्व प्रशासनिक लापरवाही बताया। बड़े स्तर पर हुए तबादले और निलंबन की प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो गया कि अपफसरों की काहिली ने पटना को डूबो कर नरक में तब्दील कर दिया।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैसे ही त्राहिमाम संदेश भेजा, केंद्र ने फरक्का बराज के 109 गेटों को तत्काल प्रभाव से खोल दिया था। बाद में केंद्र सरकार ने पटना के नरक में तब्दील होने पर कड़ा पत्र लिखा।