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कौन हैं रामलला विराजमान जिन्हें मिली समूची विवादित जमीन? जानें सुप्रीम तथ्य!

नयी दिल्ली : दशकों पुराने अयोध्या विवाद पर आज देश की शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए । साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के अंदर ट्रस्ट बनाये। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र को यह भी कहा कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन उपलब्ध काराये। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में कहीं भी 5 एकड़ जमीन आवंटित किया जाएगा। वहीं, अदालत ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के दावे को भी खारिज कर दिया।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सूट नंबर 4 सुन्नी वक्फ बोर्ड और सूट नंबर 5 पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित
जमीन रामलला विराजमान की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आइए जानते हैं कि कौन हैं रामलला विराजमान और क्या है इनकी कहानी?

कौन हैं रामलला विराजमान

1. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान को वैध व्यक्ति माना गया है। आम इंसानों की तरह भगवान के भी अधिकार और कर्तव्य होते हैं। भगवान संपत्ति के मालिक भी हो सकते हैं, साथ ही वे किसी पर मुकदमा दर्ज कर सकते हैं या उनके नाम पर मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। हिंदू कानून में देवताओं की मूर्तियों को वैध व्यक्ति माना गया है। विवादित स्थल पर जहां राम लला की जन्मभूमि मानी जाती है, वहां राम लला एक नाबालिग के रूप में थे।

2. इस केस में रामलला को भी नाबालिग और न्यायिक व्यक्ति मानते हुए उनकी तरफ से कोर्ट में ये मुकदमा विश्व हिंदू परिषद के सीनियर नेता त्रिलोकी नाथ पांडे ने रखा था।

3. 1989 में पहली बार भगवान रामलला को पैरोकार बनाया गया जिस क्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज डीएन अग्रवाल ने रामलला का केस आगे बढ़ाने हेतु खुद को उनका सखा बताने वास्ते पिटीशन दायर की। तब श्री अग्रवाल विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष थे।

अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। इसलिए कोर्ट ने पूरा विवादित स्थल राम लाल विराजमान को दे दिया। हिंदू विवादित स्थल के अंदरूनी हिस्से को रामलला का जन्मस्थान मानते हैं।

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