पटना: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दशकों पुराना सपना पूरा किया। पंडित नेहरू ने कश्मीर को लेकर कई गलतियां कीं, जिसका अटलजी ने हमेशा विरोध किया। उक्त बातें शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहीं। वे चिति फाउंडेशन द्वारा आयोजित ’अटल स्मृति व्याख्यान’ में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। विषय था: ’अटलजी के सपनों का कश्मीर।’
उपमुख्यमंत्री ने कश्मीर के भारत में विलय को लेकर कहा कि इस मसले पर पं. जवाहर लाल नेहरू ने कई गलतियां की। पहला, राजा हरिसिंह द्वारा मदद मांगने पर भी समय से सेना नहीं भेजा। दूसरा, शर्तहीन होने वाली विलय में नेहरू ने अपने मन से शर्त लगा दी कि कश्मीरियों से जनमत संग्रह के आधार पर उसके विलय की बात होगी। तीसरा, कश्मीर के मसले को बेवजह संयुक्त राष्ट्र में भेज दिया। चैथा, यूएन के दबाव में युद्धविराम लगा दिया, जबकि भारतीय सेना कबाइलियों को खदेड़ ही रही थी। पांचवा, अनुच्छेद-370 को संविधान में अस्थायी तौर पर जुड़वा देना और बाद में 1954 में 35-ए जोड़कर कश्मीर को अलग-थलग रखने की पूरी व्यवस्था नेहरू ने कर दी।
मोदी ने कश्मीर की भारत में विलय संबंधी कागजातों का पाठ करते हुए कहा कि नेहरू की इन सारी गलतियों का विरोध 1960 में अटलजी ने संसद में दिए अपने भाषण में किया था। उस समय अटलजी ने कश्मीर मसले को भयंकर भूलों की कहानी बताते हुए कहा था कि हम युद्ध में नहीं, बल्कि संधि में हारे हैं। फिर 22 नवंबर 1968 को अटलजी ने 370 हटाने के लिए विधेयक लाया। उस बिल पर मौलाना हसरत मोहानी, छागला, बख्शी गुलाम मोहम्मद ने 370 को हटाने के पक्ष में मतदान किया था। लोहिया व लिमये जैसे समाजवादियों ने भी अटलजी का साथ दिया। 6 दिसंबर 1968 को अटलजी ने कहा था कि कश्मीर की जमीन वहां के लोगों के लिए सुरक्षित रखने के लिए अनुच्छेद-370 की जरूरत नहीं। अटलजी के उस समय कहे गए बातों का 05 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने पूरा किया।
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि उनका जीवन तपस्या से भरा हुआ था। बाल काल से ही उन्होंने तपस्या की। संपादक रहते हुए, उन्होंने विचारों का भी संचार किया। त्रिविधि तपस्या यानी कि विचार, संचार व आचरण को उन्होंने प्रस्तुत किया।
उन्होंने कश्मीर की भौगोलिक व जनसंख्यीकी विवरण देते हुए कहा कि कश्मीर समस्या नहीं है, कश्मीर में समस्या है। पूरा कश्मीर आतंक से प्रभावित नहीं है। कश्मीर के 5 जिले आतंक से प्रभावित हैं। उसमें भी 2 जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है और उसी जिले से महबूबा, शेख अब्दुला, उमर अब्दुला, भटकल, यासीन, गिलानी आते हैं। अनुच्छेद 1 में कश्मीर भारत का 15 राज्य है। उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई के लिए आरएसएस भी कार्य किए। जब सैनिकों को वहां उतरना था, तो आरएसएस के स्वयंसेवक ने बर्फ की सिल्लियों को हटाया। यह कार्य आरएसएस के लोग किये। पीओके और गिलगिट को प्राप्त करना है। भारत को ना ही चीन से ना ही पाकिस्तान से समस्या है, भारत को सबसे बड़ी समस्या भारत के अंदर रहने वाले राष्ट्रविरोधी ताकतों से है।
अटल सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे डाॅ. संजय पासवान ने वाजपेयी को विशाल हृदय वाला बताते हुए कहा कि वे गारों से गिलगित तक आजादी का पर्व मनाने की बात करते थे। उन्होंने अपने संसदीय जीवन के दौरान भारत को अखंड बनाने के कई प्रयत्न किए। भाजपा विधायक संजीव चैरसिया ने कहा कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर अटलजी को प्रथम श्रद्धांजलि दी है। अब वन नेशन, वन काॅन्सटिट्यूशन की अवधारणा कायम हुई है।
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसियशन के अध्यक्ष केपीएस केसरी ने कहा कि कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए अटलजी ने तीन प्रयास किए। पहला, दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा, दूसरा आगरा वार्ता और तीसरा श्रीनगर में दिया गया उनका ऐतिहासिक भाषण। पटना काॅलेज में राजनीतिविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. दीप्ति कुमारी ने अटलजी को नैतिक मूल्योंा ला राजनेता बताते हुए कहा कि अटलजी ने खुले मन से पाकिस्तान को आमंत्रित किया था। वे बड़ी रेखा खंीचने में विश्वास रखते थे।
विषय प्रवेश कराते हुए चिति के संयोजक कृष्णकांत ओझा ने अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रद्रष्टा बताते हुए कहा कि अटलजी की नजरों में कश्मीर भारत का मस्तक है। उनका मानना था कि मस्तक अगर कष्ट में हो, तो सारा शरीर कष्ट में रहता है। यह ज्ञान अनुष्ठान उनके सपनों को याद करने का है।
इससे पूर्व गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर और अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर पर पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डाॅ. लक्ष्मीनारायण सिंह ने मंच संचालन किया। वहीं काॅलेज आॅफ काॅमर्स, आट्र्स एण्ड सांइस के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।