करवाचौथ पर बन रहा अद्भुत सौभाग्य का योग, रोहिणी और मंगल 70 वर्ष बाद एकसाथ

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पटना : करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। जहां तक बिहार की बात है तो यहां की अपेक्षा यूपी और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में इस व्रत का अधिक प्रचलन है। लेकिन अब बिहार में भी यह व्रत काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसमें महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं और पूरे दिन निर्जला रहती हैं। शाम को चांद उदय होने के बाद ही वे व्रत खोलती हैं। करवाचौथ इस बार कई अच्छे संयोग में आ रहा है। इस बार 1950 के बाद करीब 70 साल बाद 4 नवंबर को ऐसा योग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है जो करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। आइए जानते हैं इन शुभ योगों के बारे में।

इस बार जहां करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, वहीं शिवयोग, बुधादित्य योग, सप्तकीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग का भी निर्माण हो रहा है। ये सभी योग बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और इस दिन की महत्ता और भी बढ़ाते हैं। खास तौर पर सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देने वाला होगा। इस बार करवा चौथ कथा और पूजन का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर को 5:34 बजे से शाम 6:52 बजे तक है।

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करवा चौथ पर बन रहे हैं ये शुभ योग

करवा चौथ पर बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान होंगे, जो बुधादित्य योग बना रहे हैं।
इस दिन शिवयोग के साथ ही सर्वार्थसिद्धि, सप्तकीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग
चार नवंबर को प्रातः 3:24 बजे से कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग एवं मृगशिरा नक्षत्र में
चतुर्थी तिथि का समापन 5 नवंबर को प्रातः 5:14 बजे होगा।
4 नवंबर को शाम 5:34 बजे से शाम 6:52 बजे तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त है

करवा चौथ के दिन मां पार्वती, भगवान शिव कार्तिकेय एवं गणेश सहित शिव परिवार का पूजन किया जाता है। मां पार्वती से सुहागिनें अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस दिन करवे में जल भरकर कथा सुनी जाती है। महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं।

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