पटना : कार्तिक पूर्णिमा 23 नवंबर यानी कल मनाई जाएगी। इसको लेकर पटना के विभिन्न घाटों पर साफ सफाई के साथ ही सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। कार्तिक पूर्णिमा के मद्देनजर गाय घाट, कंगन घाट, कलेक्टेरिएट घाट और दीघा घाट आदि पर सुरक्षा और लोगों के आनेजाने की अच्छी व्यवस्था की गई है। इसे देखकर पुनः एक बार छठ पर्व की याद ताजा हो गई। बताते चलें कि कार्तिक पूर्णिमा पर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगाजी में स्नान करने आते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए एनडीआरएफ और गोताखोरों की कई टीमों को सभी घाटों पर तैनात किया गया है।लाइटिंग और लोगों के आने जाने के लिए ट्रैफिक का भी अच्छा इंतज़ाम किया गया है। और भी तमाम प्रकार की व्यवस्था निगम अपनी तरफ से कर रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व
बोरिंग रोड चौराहा मंदिर के पुजारी त्रिवेदी जी ने बताया कि वैसे तो पूरे कार्तिक महीने में लोग सुबह उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन किये गए गंगा स्नान दान और पूजा का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कई पवन महीने आते हैं लेकिन कार्तिक महीने का एक अलग ही खास महत्व है। सबसे ज्यादा पवित्र महीना इसी को माना जाता है। इसी महीने में दीपावली और छठ मनाई जाती है। देवताओं की दीवाली देव दीपावली भी इसी महीने मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा भी इसी महीने मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास की लीला रचाई थी जिसमे भगवान शंकर गोपी का रूप धर कर शामिल हुए थे। माना जाता है कि माता लक्ष्मी का अवतरण भी कार्तिक महीने में ही हुआ था।
बोरिंग रोड स्थित ज्ञान गंगा के सामने वाले मंदिर के पुजारी ने बताया कि कार्तिक महीने की देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु शयन से जागते हैं। अतः उनके जागने के उपलक्ष्य में श्रद्धालु गंगा जी में स्नान करते हैं। इस दिन से सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं जैसे विवाह, गृहप्रवेश इत्यादि।
क्या है शास्त्रीय मान्यता और पूजन की परंपरा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने सोलहों कलाओं के साथ उदित होते हैं। इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुर पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की खास पूजा की जाती है। पटना सिटी के सामाजिक कार्यकर्ता संजीव यादव ने बताया कि मेरी खुद की टीम के लोग भी उस दिन श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहेंगे। उन्होंने बतया कि हमारी टीम के लोगों के अलावे भी कई संस्थाओं के लोग घाटों पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि जो भी श्रद्धालु उस दिन स्नान करते हैं वो घर लौटते वक्त मंदिरों में पूजा करते हैं। इस पर्व की सबसे खास बात ये है कि लोग खाली हाथ घर नहीं लौटते हैं, बल्कि लाई या कुछ इसी प्रकार का समान खरीदकर घर जाते हैं।
(मानस दुबे)