पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना करवाने की मांग करते हुए कहा कि जातीय जनगणना होने से बहुत सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी और फिर संविधान में उसके मुताबिक और भी प्रावधान किए जा सकेंगे जिसका लाभ सभी को मिलेगा। पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में जनता दल यूनाइटेड की तरफ से जननायक कर्पूरी ठाकुर की 95वीें जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं। आज वे लोग भी कर्पूरी जयंती मना रहे हैं जिन्हें उनके सिद्धांतों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि आप जातियों में बंटे रहेंगे तो आपका फायदा कोई दूसरा उठाकर ले जाएगा। अतः जितने भी अति पिछड़े हैं वे एक प्रकोष्ठ में रहें तो सबको फायदा होगा। हमने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है, चाहे वो दलित हो या महादलित। उन्होंने कहा कि पोशाक योजना शुरू होने के बाद स्कूलों में लड़कियों की संख्या लड़कों के बराबर रहने लगी। पूरे देश मे बिहार पहला राज्य है जहां पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण है। मैंने ऑर्डिनेंस लाकर पंचायत में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू करवया था। यदि आगे बढ़ना है तो पढ़ना होगा। हमारी सरकार वो हर प्रयास कर रही है जिससे हमारी बनाई योजनाओं का लाभ पिछड़े, अतिपिछड़े को मिले। यदि इस वर्ग का कोई विद्यार्थी संघ लोक सेवा आयोग की प्रीलिमिनरी परीक्षा पास कर लेता है तो सरकार उसको 1 लाख रुपये देगी ताकि उसकी आगे पढ़ाई में किसी तरह की कोई बाधा न उपस्थित हो।
उन्होंने पिछड़ो-अति पिछड़ो को सावधान करते हुए कहा कि ज़माना नई टेक्नोलॉजी का है। लेकिन कुछ लोग इसका फायदा उठाकर जातीय कटुता और तनाव पैदा करना चाहते हैं। बदले में आप अपनी तरफ से प्यार, सद्भावना और भाईचारे का प्रचार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि
नकरात्मक खबरें अपना असर तुरंत दिखाती हैं, लेकिन फिर खत्म भी हो जाती हैं। जबकि सकरात्मक खबरें स्थाई बनी रहती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 से पहले क्या पोजीशन थी बिहार की। बिहारी अपनी पहचान छुपाकर रखते थे। लेकिन 2005 के बाद हर बिहारी शान से कहता है कि मैं बिहारी हूं। कोई भी बिहारी अपनी पहचान अब छुपकर नहीं रखना चाहता।
मानस दुबे
Swatva Samachar
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