नवादा : साढ़े पांच करोड़ का गबन कर पिछले छह माह से फरार चल रहे नवादा स्थित प्रधान डाकघर के कैशियर ने सीजेएम कोर्ट में दो दिन पूर्व सरेंडर कर दिया और गुड पुलिसिंग का दाव करने वाली पुलिस को इसकी भनक भी समर्पण के दो दिन बाद लगी। आरोपी कैशियर अंबिका चौधरी ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के दबाव में आकर सरेंडर किया। मामले में एक अन्य आरोपित तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद अब भी फरार है। लेकिन इतने अहम मामले में नवादा पुलिस की सजगता को देखते हुए तो उसके पकड़े जाने की उम्मीद का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
नवादा प्रधान डाकघर में घपले का मामला
छह माह से फरार चल रहे कैशियर ने दो दिन पूर्व इतने गुपचुप तरीके से सरेंडर किया कि इसकी भनक न तो पुलिस को लगी और न ही डाक विभाग को। चौंकाने वाली बात तो ये कि समर्पण के दो दिन बीत जाने के बाद भी मीडिया से ही पुलिस और डाक विभाग को जानकारी मिली। ऐसे में मामले की तहकीकात और फरार चल रहे अन्य आरोपियों के पकड़े जाने की मशक्कत पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
जानें, क्या है पूरा मामला
अंबिका चौधरी नवादा प्रधान डाकघर में खंजाची था। उसपर डाकघर का 5.57 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है। अप्रैल 2019 में कैशियर का तबादला हो गया था। लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी उसने प्रभार नहीं सौंपा। प्रभार सौंपने में विलंब के बीच अप्रैल माह के अंत में विभागीय अंकेक्षण शुरू हुआ। इस दौरान पाया गया कि बैंक से निकाली गई राशि को पंजी में नहीं दर्शाया गया था। मई माह में दो करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ। मामला समाने आने के बाद डाक अधीक्षक द्वारा तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद व कैशियर को निलंबित कर दिया गया था। आगे जांच के बाद गबन की राशि 5.57 करोड़ तक हो गई थी।