कल शरद पूर्णिमा पर दिखेगा Blue मून, खूबसूरत नजारा मोह लेगी मन

0

नयी दिल्ली/पटना : कल 30 अक्टूबर शुक्रवार को बिहार समेत समूचे भारत के लोगों को आसमान में बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। मौका होगा शरद पूर्णिमा की मनोरम रात का जब चद्रदेव अपनी संपूर्ण 16 कलाओं के साथ उदित होंगे। इस दिन उनकी किरणों से अमृत बरसने की मनोरम आध्यात्मिक घटना तो होगी ही, साथ ही खगोल प्रेमियों के लिए भी यह एक रोचक अवसर होगा। यह मौका होगा ब्लू मून का, जिसका इंतजार दुनिया भर के लोग बेसब्री से करते हैं।

क्यों कहते हैं ब्ल्यू मून, कैसा होगा चांद

पटना स्थित तारामंडल के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा अक्टूबर महीने का शुभारंभ पूर्णिमा से हुआ था। अब इस माह के आखिर में 30 अक्टूबर को फिर पूर्णिमा है। एक माह में यह दूसरी पूर्णिमा है। पहली पूर्णिमा एक अक्तूबर को थी। यह संयोग मलमास के कारण बना है। एक अक्टूबर को भी फुल मून बना था और उस दिन की पूर्णिमा का चांद भी अनोखी चमक लिए नजर आया था।
खगोलविदों के अनुसार, साल में 12 बार फुल मून होते हैं। लेकिन करीब तीन साल में एक संयोग ऐसा भी बनता है जब 13 बार फुल मून होते हैं। ऐसे में जिस माह दो फुल मून होते हैं, उस माह दूसरे फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है।

swatva

14 फीसदी बड़ा नजर आएगा चंद्रमा

अब 31 अक्टूबर के फुल मून को भी ब्लू मून कहा जाएगा। ब्लू मून नाम का प्रचलन 1946 से शुरू हुआ। ब्लू मून का नीले रंग से कोई संबंध नहीं है। इस दिन चांद बेहद चमक लिए होता है। इस बार का ब्लू मून अफ्रीका, यूएसए, यूरोप समेत एशिया के कई देशों में देखा जाएगा। ब्लू मून की रात को चंद्रमा आकार में 14 प्रतिशत बड़ा नजर आएगा। इसकी चमक भी अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक रहेगी। चंद्रमा पर शोध करने वाले खगोल विज्ञानियों के लिए यह मौका बेहद उत्सुकता वाला है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण

वर्ष की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा विशेष चमत्कारी मानी गई है। शरद पूर्णिमा का चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता होती है। इसी आधार पर कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं। पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से खीर भी अमृत के समान हो जाएगी। उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगा।

शरद पूर्णिमा की तिथि, पूजन का समय

शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को है। लेकिन स्नान-दान और पूजन की पूर्णिमा का मान 31 को है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अक्तूबर को शाम 5:04 बजे शुरू हो जाएगी। इसका मान 31 अक्तूबर को शाम 7:30 बजे तक रहेगा। शरद पूर्णिमा से देव दीपावली के निमित्त दीपदान शुरू हो जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here