कल 17 से शुरू हो रही नवरात्रि, जानें कलश स्थापना का समय और शुभ मुहूर्त

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पटना :  शनिवार 17 अक्टूबर से नवारात्रि शुरू हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों में लोग देवी के नौ रूपों की आराधना करते हैं। नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है जो इस बार 17 से 25 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। 26 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा। नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इस साल नवरात्रि पर 58 साल बाद शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस नवरात्र में शनि और गुरू ग्रह करीब 58 साल के बाद अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। शनि ग्रह की राशि मकर और गुरू की अपनी राशि धनु है। इसलिए ग्रहों की दशा का बन रहा यह शुभ संयोग कलश स्थापना के लिए बेहद शुभ है। आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि विधान।

कलश स्थापना शुभ समय

कलश स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान करने वाला विधान है। घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। यह 40 मिनट का होता है। हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। अभिजीत मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम होता है। जो मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक होगा। लेकिन चूंकि चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना प्रशस्त नहीं माना गया है। अतः चित्रा नक्षत्र की समाप्ति दिन में 2:20 बजे के बाद किया जा सकेगा। स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर 2:30 से 3:55 तक होगा साथ ही शुभ चौघड़िया भी इस समय प्राप्त होगी अतः यह अवधि कलश स्थापना हेतु अतिउत्तम है।

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कलश स्था‍पना का मुहूर्त

कलश स्था‍पना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020
कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक।
कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट। स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर 2:30 से 3:55 तक होगा साथ ही शुभ चौघड़िया भी इस समय प्राप्त होगी अतः यह अवधि कलश स्थापना हेतु अतिउत्तम है। दूसरा स्थिर लग्न वृष रात में 07:06 से 09:02 बजे तक होगा परंतु चौघड़िया 07:30 तक ही शुभ है अतः 07:08 से 07:30 बजे के बीच मे कलश स्थापना किया जा सकता है।

कैसे करें कलश स्थापना

नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें।
अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थाशपना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।

जानिए किन दिन कौन-सा बन रहा शुभ संयोग

17 अक्टूबर ( शनिवार) – सर्वार्थसिद्धि योग
18 अक्टूबर (रविवार) – त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि योग
19 अक्टूबर (सोमवार) – सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग
20 अक्टूबर (मंगलवार) – सौभाग्य और शोभन योग
21 अक्टूबर (बुधवार) – रवियोग
22 अक्टूबर (गुरुवार) – सुकर्मा और प्रजापति योग
23 अक्टूबर (शुक्रवार) – धृति और आनंद योग
24 अक्टूबर (शनिवार) – सर्वार्थसिद्धि योग
25 अक्टूबर (रविवार) रवियोग
26 अक्टूबर (सोमवार) – रवियोग

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