कहीं यौन शोषण से तो नहीं भागी लड़कियां? रडार पर दो कर्मी

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पटना : मोकामा शेल्टर होम से गायब सात में से छः लड़कियों को 24 घंटों के अंदर बरामद तो कर लिया गया लेकिन नाजरथ हॉस्पिटल, मोकामा द्वारा संचालित शेल्टर होम से लड़कियों का भाग जाना ये दर्शाता है कि मुज़फ़्फ़रपुर कांड के बाद भी सिस्टम कितना ‘लापरवाह’ बना हुआ है। किन कारणों से शेल्टर होम से लड़कियां भागी या भगाई गईं, इसका खुलासा अभी बाकी है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शेल्टर होम में कार्यरत दो स्टाफ की भूमिका काफी संदेहास्पद है। इन दोनों कर्मियों की वहां रह रही कुछ लड़कियों से अंतरंग संबध स्थापित हो गए थे। यही कारण है कि भेद खुलने के डर से किसी भी पुलिस अधिकारी या पुलिसकर्मी को शेल्टर होम के अन्दर जाने नहीं दिया जाता था। जबकि इन्हीं पर शेल्टर होम की सुरक्षा की जिम्मेवारी थी। सूत्र बताते हैं कि बाढ़ एएसपी लिपि सिंह को भी हाल ही में वहां हुए एक हंगामे के बाद अन्दर जाने से रोका गया था। आखिर किन कारणों से एक महिला आईपीएस अधिकारी को अन्दर जाने की इजाजत नहीं दी गई। शेल्टर होम के अंदर हाल में घटी दो घटनाओं को आखिर प्रबंधन ने क्यों छुपाया? इसकी सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी गयी? 17 फरवरी को शेल्टर होम की एक लड़की ने अपनी हथेली की नस काटकर आत्महत्या की कोशिश की थी, जबकि 20 तारीख को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में कुछ लड़कियों ने वहां हंगामा किया और रूम का दरवाजा तक तोड़ दिया। वे घर भेजे जाने की पुरजोर मांग कर रही थीं। यहां प्रश्न उठता है कि कहीं वहां भी उनका पुनः शोषण तो शुरू नहीं हो गया था? अनुसंधान से जुड़े एक अधिकारी ने खुलासा किया कि शेल्टर के दो कर्मी कुछ लड़कियों से अक्सर बात करते देखे जाते थे। वे दोनों कर्मी विशेष जांच टीम की राडार पर हैं। ऐसे में प्रश्न उठना लाजिमी है कि शेल्टर होम के पुरुष कर्मी को संवासनियों के रूम तक जाने की सहूलियत क्यों दी गयी थी। बाढ़ के अनुमंडल अधिकारी को पुरुष होने के नाते अन्दर जाने से रोका गया था, जबकि शेल्टर होम के पुरुष कर्मी लड़कियों से बेरोकटोक हंसकर बात करते रहते थे। प्रारंभिक पूछताछ में लड़कियों ने बताया कि शेल्टर होम के कुछ स्टाफ का व्यवहार उनके साथ ठीक नहीं था। अंदर ही अंदर कुछ तो चल रहा था जिसको प्रबंधन छुपाने की कोशिश कर रहा था। समाज कल्याण विभाग के अधिकारी ने भी चुप्पी साधकर इसमें उनका साथ दिया। पटना के ग्रामीण एसपी संजय कुमार ने संपर्क करने पर दूरभाष पर बताया कि पुलिस इस बात का पता लगाने में लगी है कि कहीं इन लड़कियों को बाहरी तत्वों ने तो भागने के लिए प्रेरित नहीं किया। या फिर शेल्टर होम के अन्दर रह रहे किसी कर्मी ने ही कोई साजिश तो नहीं की, क्योंकि भागने की घटना उस दिन घटी जिस दिन बालिका गृह कांड की सुनबाई दिल्ली के साकेत स्पेशल पोक्सो कोर्ट में होनी थी। फरार हुई लड़कियों में कुछ बालिग भी हैं। साथ ही फरार होनेवाली सभी लड़कियां एक ही कमरे में रह रही थी। स्थानीय लोगों की मानें तो रोज पांच से छह बार लड़कियों के रोने, चीखने—चिल्लाने की आवाजें शेल्टर होम से सुनाई पड़ती थी। लड़कियों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उनको छह माह के लिए ही शेल्टर होम में रखा गया था और बताया गया था कि उनको अपने घर जाने दिया जायेगा। लेकिन एक साल से ऊपर से बंद कर रखा गया है—पहले मुजफ्फरपुर में और अब मोकामा में। शायद लड़कियों का धर्य का संबल टूट गया। आखिर समाज कल्याण विभाग इनकी बातों को क्यों अनसुनी कर रहा था? कहीं ऐसा तो नहीं कि मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में रह रही लड़कियों का बयान सम्बंधित न्यायलय में दबाब में दिलवाया गया हो और जांच एजेंसी को यह भरोसा नहीं हो कि वे घर जाने के बाद अपने दिए गए बयान से पलटेंगी नहीं। इसका दुष्प्रभाव कांड के ट्रायल पर हो सकता है। जहां तक सुरक्षा का प्रश्न है, शेल्टर होम में सात पुलिसकर्मी तैनात थे। दोनों गेट पर प्रहरी की तैनाती थी। इस परिस्थिति में कैसे ये लड़कियां बाथरूम की खिड़की का ग्रिल काटकर बाहर निकलीं और फिर चहारदीवारी फांद कर फरार हो गईं। वह भी तब जब दो या तीन लड़कियां शारीरिक रूप से काफी स्वस्थ और मोटी बतायी जाती हैं। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि शेल्टर होम प्रबंधन द्वारा प्राथमिकी में घटना को तोड़मरोड़ कर पुलिस के सामने पेश किया गया है। बरामद लड़कियां पटना, मुजफ्फरपुर एवं मधुबनी जिले की बताई जा रही हैं। एक लड़की अभी भी फरार है। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर बरामद लड़कियों को पुलिस अभिरक्षा में पटना पुलिस लाइन में रखा गया है। मालूम हो कि गत वर्ष जुलाई में मधुबनी से भी एक गूंगी लड़की जो बालिका गृह कांड की प्रमुख गवाह थी, गायब हो गयी थी। अभी तक उसका पता पुलिस नहीं लगा सकी है। शनिवार अहले सुबह फरार होनेवाली लड़कियों में भी पांच मुजफ्फरपुर बालिका गृह से स्थानांतरित होकर मोकामा शेल्टर होम आई थीं। उनमे से चार लड़कियां बालिका गृह कांड की गवाह भी हैं।

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