कहां ‘छोटे सरकार’ की हनक, कहां कैदी नं.13617! अनंत पर अनंत मुसीबत
पटना : बाहुबली अनंत सिंह टूट चुके हैं। कहते हैं कि सब दिन होत न एक समान!कुछ ऐसा ही अनंत सिंह के साथ भी घटित हुआ है। ‘छोटे सरकार’ का संबोधन, आंखों पर काला चश्मा और गले में सोने की मोटी चेन। यही नहीं, सफेद लकदक कपड़े में बाहुबली होने की हनक। सबकुछ चंद दिनों की चांदनी की तरह बिखर गया। अब नई पहचान—बेऊर जेल का कैदी नं—13617 बस, बाकी और कुछ नहीं।
न चश्मा, न चेन, बेऊर में छिन गया चैन
अब ना अनंत की आंखों पर कोई चश्मा और ना गर्दन में भारी भरकम सोने की चेन। रौबदार मूंछों वाला अनंत सिंह का चेहरा बेऊर की चहारदीवारी में पूरी तरह उतर गया है। यहां तक कि खाना भी जेल की रोटी तोड़ने तक ही सीमित हो गया है। कपड़ों की लकदक भी बुझी—बुझी है। छींटदार गमछे की जगह जेल में मिले चादर और अंगोछे से काम चलाना पड़ रहा है।
जेल की रोक—टोक ने जीना किया मुहाल
भाला ऐसे में चेहरे से मुस्कान का गायब होना कोई आश्चर्य थोड़े ही है। अनंत सिंह जेल में चश्मा पहनने की इजाजत नहीं मिली। बिना चश्मे के उनकी आंखों में परेशानी के भाव साफ झलक रहे थे। उसपर मच्छरों ने उनका अलग इम्तिहान लिया सो अलग। हद तो तब हो गई जब उन्हें जेल के कड़े अनुशासन से दो—चार होना पड़ा। बात—बात पर बंधन, करना है—नहीं करना है। कुल मिलाकर आजाद पंक्षी की तरह उड़ने वाला बाहुबली बेऊर की दीवारों के पीछे काफी घुटन महसूस कर रहा है।
पुलिस कर रही पूछताछ की तैयारी
मालूम हो कि अनंत सिंह ने आर्म्स एक्ट मामले में फरारी के बाद दिल्ली में सरेंडर किया था। इसके बाद बिहार पुलिस उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर बाढ़ कोर्ट ले आई जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में भेज दिया गया। अब बिहार पुलिस उनसे पूछताछ के लिए होमवर्क करने में जुटी है। सवालों की फेहरिस्त तैयार की जा रही है, जिससे उनके आपराधिक कर्मों का हिसाब लिया जा सके।