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कागज़ी कार्रवाई पूरी करते-करते गई बच्चे की जान, डीएम ने दिए जांच के आदेश

बक्सर : पिछले दिनों कंधे पर आक्सीजन का सिलेंडर लिए एक व्यक्ति और ट्रे में मासूम बच्चा लिए अस्पताल का चकर लगते हुए महिला की तश्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई। तस्वीर जर्ज़र स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर रहा है। वायरल तस्वीर ने सबको झकझोर कर रख दिया।

आलम यह रहा की कागजी कार्रवाई पूरी करते-करते मासूम की जान चली गई। मामले को तूल पकड़ता देख डीएम अमन समीर ने इस मामले की जांच के आदेश दिए।

क्या है तस्वीर की पूरी सच्चाई

वायरल हुई तस्वीर का सच जानने के लिए। संवाददाता राजपुर प्रखंड के सखुआना गाँव पहुंचे जहाँ पीड़ित परिजनों से घटना के संबंध में पूछने पर बच्चे के पिता सुमन ने बताया कि उनकी पत्नी को डिलीवरी के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया जहाँ कर्मचारियों ने डिलीवरी कराने से इंकार कर दिया। परिजनों ने बाद में एक निजी अस्पताल में ले गए जहाँ डिलीवरी के बाद बच्चे को सांस लेने में दिक़्क़त होने पर अस्पताल कर्मियों ने सदर अस्पताल भेज दिया।

बच्चे के दादा तपेश्वर सिंह ने कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर उठाया और बच्चे की बुआ कंचन देवी ने बच्चे को ट्रे में लेकर लगभग 18 किलोमीटर की दूरी तय कर सदर अस्पताल पहुंची पर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण कागज़ी कार्रवाई पूरी करते करते ही बच्चे की मौत हो गई।

इलाज के लिए भटकते रहे दर-दर

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बच्चे की बुआ कंचन से बात करके संवाददाता चन्द्रकेतु पाण्डेय

बच्चे की बुआ कंचन ने बताया कि उनकी भाभी विमल को लेकर मैं और पिताजी सदर अस्पताल गए। वहां पर्चा कटाने के बाद वहां मौजूद नर्सों ने कहा अभी कुछ नहीं होगा। डॉक्टर कल दोपहर में आएंगे।

जच्चा के पेट में बहुत तेज दर्द होने लगा। हम लोग नीचे आए, वहां मौजूद कर्मियों ने हमारी तकलीफ देखी। एक बोतल पानी भी चढ़ाया। लेकिन, हालत नहीं सुधरी तो दूसरे जगह ले जाने को कहा गया। बाद में चौसा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। निजी अस्पताल के डाक्टर ने कहा मरीज का ऑपरेशन करना पड़ेगा। ऑपरेशन हुआ लेकिन बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। आक्सीजन की जरुरत देखते हुए डॉकटर ने बच्चे को सदर अस्पताल ले जाने को कहा।

बच्चे के दादा तपेश्वर सिंह ने फोन पर बताया कि सदर अस्पताल की लापरवाही के कारण उनके नाती की जान गई है। अगर हमारी बहू को अस्पताल में दाखिल ले लिया होता। तो रातभर टेम्पू में लेकर उसे यहां से वहां दौडऩा नहीं पड़ता। उन्होंने पूछने बताया कि आक्सीजन का सिलेंडर चौसा के निजी अस्पताल से मिला। जहां हमारी बहू का ऑपरेशन हुआ है।

23 जुलाई को बच्चे को लेकर सदर अस्पताल गए डाक्टरों से बार-बार आग्रह करने पर उसे बच्चा वार्ड में दाखिल किया। फिर नर्स ने कहा, आपका बच्चा नहीं रहा। हम रोते लौट आए, पूछने पर तपेश्वर सिंह ने यह भी बताया कि बहू का यह दूसरा बच्चा था। एक सवा साल की बेटी है। जो अस्पताल में मां के साथ है।

चंद्रकेतु पांडेय