ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा, सरयू और सोन नद के संगम चिरांद में महाआरती

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Chirand Mahotsav (file photo)

चिरांद (सारण) : गंगा, सरयू ओर सोन नद के संगम पर ज्येष्ट पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले चिरांद उत्सव व गंगा महाआरती कोरोना के कारण गुरुवार को प्रतीकात्मक व आॅनलाइन आयोजित हुआ। केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे व एमएलसी ई. सच्चिदानंद राय ने आभाषी माध्यम से इस समारोह का उदघाटन किया। श्री चौबे दिल्ली से व ई. राय पटना स्थित अपने कार्यालय से जुड़े थे।

इस अवसर पर लक्ष्मण किला अयोंध्या के महंत व रसिक पीठा चिरांद के आचार्य महंत श्री मैथिली रमण शरणजी महाराज, रामकृष्ण आश्रम के स्वामी दिव्यात्मानंदजी महाराज, चिरांद विकास परिषद के संरक्षक महंत श्रीकृणगिरी उपाख्या नागा बाबा गंगा तट पर उपस्थित थे। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याणमंत्री श्रीचोबे ने कहा कि कोरोना काल में सावधानियों व निर्देशों का पालन करते हुए गंगा माता की आरती हो रही है। लेकिन, आभाषी माध्यम से भक्त अपने घरों में रहते हुए इस आयोजन से जुड़ गए। रामायण परिपथ व पुरातत्व की दृष्टि से चिरांद अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यहां सतत विकास का प्राचीन माडल था। वर्ष 2008 के बाद से सतत हो रहे इस आयोजन के माध्यम से चिरांद को उसके गौरवशाली अतीत के अनुकूल बनाने का संकल्प पूर्ण होगा।

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महंत श्री मैथिली रमण शरणजी महाराज ने कहा कि यह तीर्थ आयोध्या को सिद्धाश्रम यानी बक्सर और जनकपुर से जोड़ने वाला है। इस तीर्थ का सम्बंध पुत्रेष्टि यज्ञ कराने वाले ऋषि श्रृंगी से भी है। इसके बिना प्रभु श्रीराम का वैभव पूर्ण नहीं हो सकता। इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने चिरांद के महत्व व उसके विकास के प्रयासों पर जानकारी दी। समारोह स्थल पर यजमान के रूप में गेंदा सिंह, डॉ. किरण सिंह, चिरांद विकास परिषद के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, सदस्य रासेश्वर सिंह आदि उपस्थित थे। आचार्य राजेश कौशिक के नेतृत्व में काशी से आये आचार्यों व कर्मकांडियों की टोली ने पूजन व आरती सम्पन्न कराया। इस अवसर पर संतों व विद्वानों ने संगम स्थल पर संत शिरोमणि सद्गुरु कबीर साहब की जयंती भी मनायी। धर्म, समाज व प्रकृति की रक्षा में उनके योगदान की चर्चा हुई।

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