पटना : भाजपा एनआरआई मंच की ओर से ज्ञानभवन में आयोजित प्रथम ‘अप्रवासी बिहारी सम्मेलन’ को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दो जून की रोटी के लिए नहीं, मगर ज्यादा पैसे कमाने के लिए प्रदेश और देश से बाहर जाना पलायन नहीं है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। 2018-19 में बिहार से 3 लाख पासपोर्ट निर्गत हुए जिसमें सर्वाधिक सिवान से 41,700 (13 प्रतिशत), गोपालगंज से 34,200 (11 प्रतिशत) और औरंगाबाद से 25,400 (8 प्रतिशत)। बड़ी संख्या में पंजाब, गुजरात आदि विकसित राज्यों से भी लोग बेहतर कमाई के लिए इंग्लैंड, अमेरिका, कनाड़ा व अन्य देशों में जाते हैं।
पटना में प्रथम अप्रवासी बिहारी सम्मेलन
ग्लोबल माइग्रेशन के आंकड़े के अनुसार दुनिया के दूसरे मुल्कों में काम करने वालों में प्रथम स्थान पर 1.75 करोड़ भारतीय, दूसरे स्थान पर 1.18 करोड़ मैक्सिकन व तीसरे स्थान पर 1.7 करोड़ चीनी लोग हैं। आरबीआई सर्वे के अनुसार 2018 में अप्रवासी भारतीयों द्वारा 78.6 बिलियन डाॅलर देश में विदेशों से आया। 2016-17 में केरल की अर्थव्यवस्था में 19 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 17 और बिहार में 1.3 प्रतिशत राशि अप्रवासियों ने भेजे थे।
एनडीए सरकार की गिनाईं उपलब्धियां
श्रीकृष्ण बाबू के 1961 में निधन के बाद 40 वर्षों तक बिहार का विकास बाधित रहा। राजद के 15 वर्षों के कार्यकाल में बिहार का औसत विकास दर 5 प्रतिशत के करीब था वहीं एनडीए सरकार के 15 वर्षों में 10 प्रतिशत से ज्यादा है। विगत 3 वर्षों में विकास दर में बिहार का स्थान देश के प्रथम तीन राज्यों में है। आज पहचान छुपाने की नहीं बल्कि बिहारी कहने में गर्व महसूस होता है।
देश-दुनिया से आए अप्रवासी बिहारी राज्य के विकास में अपना योगदान दें। अपने-अपने गांव में अपने पुरखों के नाम पर स्कूल, अस्पताल के लिए जमीन दान दें। बिहार सरकार द्वारा गठित ‘बिहार फाउंडेशन‘ जो दुनिया के अधिकांश देशों में कार्यरत है, उससे जुड़ें व वेबसाइट पर आॅनलाइन निबंधन कराएं।