नयी दिल्ली : जेएनयू हिंसा की जांच क्राइम ब्रांच ने शुरू कर दी है। इसबीच पुलिस ने रविवार रात यूनिवर्सिटी में घुसने की कोशिश कर रहे चार बाहरी लोगों को जेएनयू के नॉर्थ गेट पर हिरासत में लिया है। इससे यह संकेत मिलता है कि जेएनयू कैंपस में जो हुआ वह पूरी तरह सुनियोजित और गुरिल्ला अटैक की तर्ज पर किया गया। इसके पीछे संगठित प्लानिंग और भारत विरोधी दिमाग से इनकार नहीं किया जा सकता।
घायलों में 20 वाम तो 10 अभाविप छात्र
रविवार को नकाबपोश लोगों ने जेएनयू परिसर में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से हमला कर दिया था। हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत करीब 30 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में वाम और अभाविप समर्थक, दोनों छात्र शामिल हैं। प्रश्न उठता है कि जेएनयू में नकाब पहनकर बिना लेफ्ट—राईट का फर्क किये छात्रों पर हमला किसने किया। छापामार स्टाइल में अचानक जेएनयू परिसर में जुटने और हमला करने के पीछे उनकी क्या मंशा थी?
मुन्द्रिका के अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके के गुंडों पर शक
दरअसल, भारत विरोध के लिए जेएनयू बाहरी ताकतों के लिए बम के गोले जैसी छवि रखता है। इसका इस्तेमाल पूर्व में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ वाले मामले में भी किया गया था। तब जेएनयू छात्रसंघ के उस समय के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को इन बाहरी तत्वों ने भुलावे में रख अपनी भारत विरोधी हरकत को अंजाम दिया था। उस समय भी जेएनयू कैंपस के निकट स्थित दिल्ली के मुन्द्रिका इलाके के एक अल्पसंख्यक बाहुल्य मुहल्ले के लड़कों पर अंगुली उठी थी। लेकिन उस समय इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया था।
क्राइम ब्रांच की तीन टीमें जांच में जुटीं
अब इस ताजा मामले में भी कहा जा रहा है कि मुन्द्रिका इलाके के इसी मुहल्ले के 40—50 लड़कों की टीम का इस्तेमाल हमले करवाने में किया गया है। हमलावरों के एक्शन पर गौर करें तो यह जाहिर हो जाता है कि उनका मकसद कैंपस में बिना भेदभाव जो मिले उसे निशाना बनाना था। फिर उन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए मुंह भी ढंक रखे थे। जबकि छात्रों के दो गुटों के बीच क्लैश में छात्र अपनी पहचान नहीं छुपाते। साफ है कि मामला छात्रों के बीच झगड़े का नहीं, बल्कि पूरी प्लानिंग के साथ देश के युवा मन को आग से भर देने का था।
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बहरहाल, क्राइम ब्रांच ने 3 टीमें बनाकर इस सबकी जांच शुरू कर दी है। एक टीम सभी सीसीटीवी और सारे वायरल वीडियो की जांच कर रही है। दूसरी टीम आरोपियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने में और तीसरी टीम सभी लोगों के बयान दर्ज करने में लगी है। टीम ये भी पता लगा रही है कि क्या किसी ने लोगों को जुटने के लिए मैसेज किया था। इसके लिए कई व्हाट्सएप ग्रुप की भी जांच की जा रही है।