नवादा : जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाली महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत संतान की मंगल कामना के लिए किया जाता है। महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और उसकी रक्षा के लिए इस निर्जला व्रत को रखती हैं। यह व्रत पूरे तीन दिन तक चलता है। व्रत के दूसरे दिन व्रत रखने वाली महिला पूरे दिन और पूरी रात जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती है। यह व्रत महिलाएं बढ़-चढ़ कर इस व्रत को करती हैं।
जितिया व्रत कब है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक मनाया जाता है। इस बार व्रत को लेकर पंडित और पंचांग एकमत नहीं हैं। यही वजह है कि जितिया का व्रत इस बार दो दिन का हो गया है। बनारस पंचांग के अनुसार 22 सितंबर को जितिया व्रत रखा जाएगा और 23 सितंबर की सुबह पारण होगा। वहीं विश्वविद्यालय पंचांग को मानने वाले भक्त 21 सितंबर को व्रत रखेंगे और और 22 सितंबर की दोपहर तीन बजे व्रत का पारण करेंगे।
यह व्रत 21 सितंबर से लेकर 23 सितंबर तक है, व्रत का मुख्य दिन अष्टमी 22 सितंबर को है। जितिया व्रत की तिथि, और शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 सितंबर 2019 को रात 08 बजकर 21 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 सितंबर 2018 को रात 07 बजकर 50 मिनट तक जितिया व्रत की पूजा विधि
जितिया में तीन दिन तक उपवास किया जाता है: –
- पहला दिन:- जितिया व्रत में पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है। इस दिन महिलाएं नहाने के बाद एक बार भोजन करती हैं और फिर दिन भर कुछ नहीं खाती हैं।
- दूसरा दिन: व्रत में दूसरे दिन को खुर जितिया कहा जाता है। यही व्रत का विशेष व मुख्य दिन है जो कि अष्टमी को पड़ता है। इस दिन महिलाएं निर्जला रहती हैं। यहां तक कि रात को भी पानी नहीं पिया जाता है।
- तीसरा दिन : व्रत के तीसरे दिन पारण किया जाता है. इस दिन व्रत का पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है।