अभी भी खतरे में JDU अध्यक्ष की कुर्सी, क्या करेंगे ललन?
पटना : बिहार में भाजपा से अलग होने के बाद जितनी चर्चा अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को लेकर हो रही है। यही चर्चा कुछ समय बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लेकर होगी। क्योंकि, ललन सिंह का राजनीतिक वजूद राजद के खिलाफ चुनाव लड़ कर ही बचा हुआ है। ऐसे में राजद के साथ मिलने के बाद अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की राजनीतिक कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है। दूसरी तरफ राजद के कई नेता मुंगेर लोकसभा से चुनाव लड़ने की क्षमता रखते हैं। जिसमें एमएलसी अजय सिंह का नाम प्रमुख है।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि राजद से गठबंधन और बीजेपी से अलग होने के बाद ललन सिंह के समर्थन का एक भी नेता बाढ़ से लेकर मुंगेर तक चुनाव जीता हुआ नहीं है। बाढ़ से मुंगेर तक के नेताओं की बात करें, तो बाढ़ से ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, मोकामा से अनंत सिंह, लखीसराय से विजय सिन्हा और इस बार स्थानीय प्राधिकार कोटे से ललन सिंह के उम्मीदवार संजय सिंह खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अजय सिंह, सूर्यगढ़ा में जदयू के रामानंद मंडल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रहलाद यादव तथा मुंगेर और जमालपुर में भी यही स्थिति है। इसी कारण भाजपा इस बार मुंगेर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी। भाजपा की इस तैयारी से ललन सिंह आशंकित हो रहे थे। इसलिए वे इस बार भाजपा से अलग होने का नेतृत्व कर रहे थे।
सभी सीटों पर हुई थी JDU की करारी हार
दरअसल, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बिहार के मुंगेर लोकसभा सीट सांसद हैं। मुंगेर लोकसभा के अंदर कुल 6 विधानसभा सीटें हैं। बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव जदयू और भाजपा साथ मिलकर लड़ी। लेकिन, अब दोनों अलग हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव में मुंगेर लोकसभा के अंदर आने वाली 6 सीटों को बीजेपी और जेडीयू ने 50-50 % के फार्मूले पर बांटा था। लेकिन चुनाव के नतीजे से भाजपा जितनी गदगद हुई, जदयू के खेमे में उतनी ही उदासी देखने को मिली। दरअसल, इस इलाके में भाजपा की जीत का प्रतिशत 100% रहा तो जदयू एक भी सीट निकालने में नाकामयाब रही।
एक भी सीट नहीं जितवा सके ललन
अगर बात मुंगेर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा के परिणाम की बात करें तो मुंगेर लोकसभा अंतगर्त विधानसभा की 6 सीटों में मुंगेर से भाजपा, जमालपुर से कांग्रेस, सूर्यगढ़ से राजद, लखीसराय से भाजपा, मोकामा से राजद ( अब सदस्यता जा चुकी है) और बाढ़ से भाजपा की जीत हुई है। पिछले चुनाव में मोकामा, सूर्यगढ़ और जमालपुर सीट से जदयू लड़ी और तीनों सीट हार गई। जबकि कहा जाता है कि मुंगेर जिले का जमालपुर सीट जदयू का गढ़ रहा है। लेकिन फिर भी ललन सिंह अपने प्रत्याशी को चुनाव जीताने में सफल नहीं हुए।
लोकसभा होता तो नहीं जीतते ललन सिंह
विधानसभा चुनाव में मुंगेर सीट से भाजपा को 75,573 और राजद को 74,329 वोट मिले। जमालपुर में कांग्रेस को 57,196 और जदयू को 52,764 वोट मिले। सूर्यगढ़ में राजद को 62,306 और जदयू को 52,717 वोट मिले। लखीसराय में भाजपा को 74,212 और कांग्रेस को 63,729 वोट मिले। मोकामा में राजद को 78,721 और 42,964 वोट मिले। जबकि बाढ़ में भाजपा को 49,327 और 39,087 वोट मिले। जमालपुर में एलजेपी के दुर्गेश कुमार सिंह को 14,643 वोट, सूर्यगढ़ा में लोजपा के रविशंकर प्रसाद सिंह 44,797 वोट और मोकामा में एलजेपी के सुरेश सिंह निषाद 13,331 वोट मिले।
यानी कि विधानसभा में वोटों को जोड़ दिया जाते तो एनडीए को 3 लाख 47 हजार 557 वोट और महागठबंधन को कुल 3 लाख 75 हजार 368 वोट तथा लोजपा को 72,771 वोट मिले। यानी वोटों की संख्या को जोड़ें तो लोकसभा चुनाव में ललन सिंह की हार हो जाती।
भूमिहारों का गढ़, वैश्य और यादव निर्णायक
बता दें कि, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा स्वजातीय हैं। दोनों भूमिहार जाति से आते हैं। लेकिन दोनों का व्यक्तित्व एक दूसरे से बिलकुल विपरीत है। अगर जातीय समीकरण को देखें तो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र भूमिहार जाति के अलावा एक विधानसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाता अधिक हैं। नीतीश का वोट बैंक कुर्मी, धानुक कोयरी की संख्या काफी है, जिस आधार पर जदयू के कैंडिडेट जीत हासिल करते है। मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख वैश्य तथा यादव मतदाताओं का दबदबा रहा है।
क्षेत्र में बरकरार है ललन से नाराजगी, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से रिश्ते मधुर नहीं
स्थानीय राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव में ललन सिंह की राह मुश्किल होने वाली है। क्योंकि, गठबंधन टूटने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र से सूरजभान सिंह के परिवार को चुनाव में उतारेगी या फिर विजय सिन्हा चुनावी मैदान में होंगे। ऐसी स्थिति में ललन सिंह के पूर्व राजनीतिक दुश्मन अनंत सिंह, प्रहलाद यादव और अजय सिंह का क्या स्टैंड होगा यह भविष्य के गर्भ में है? इसके साथ ही हालिया प्रकरण पर मुंगेर क्षेत्र से जुड़े लगभग सैकड़ों मतदाताओं से बातचीत करने पर उनका मत यह है कि इस क्षेत्र में ललन सिंह की राजनीतिक हैसियत भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के मेहनत के बदौलत है। इसका उदाहरण क्षेत्र की जनता 2014 के आम चुनाव को लेकर भी देते हैं।