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JDU अध्यक्ष ललन सिंह का RCP पर पलटवार, कहा- कुशवाहा के नेतृत्व में हो रहा संगठन का हर काम, RCP क्या करने वाले हैं, मुझे नहीं पता

पटना : जदयू के अंदर आरसीपी सिंह और ललन सिंह की लड़ाई समय-समय पर बाहर आती रहती है। बीते दिन आरसीपी सिंह ने संगठन की मजबूती और विकास कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बिहार भ्रमण की बात कही। इसके अलावा आरसीपी ने विशेष राज्य दर्जे को लेकर कहा कि विशेष राज्य का दर्जा देना केंद्र के लिए मुश्किल है। अगर किसी एक राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है, तो सभी राज्य विशेष दर्जे की मांग करेंगे, जो कि संभव नहीं है। विकास की प्राथमिकता को रखते हुए खिड़की से जितना मिल सकता है, उतना लेना चाहिए और कार्य करना चाहिए।

ललन सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि वे क्या करने वाले हैं

आरसीपी के बिहार भ्रमण कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए ललन सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि वे क्या करने वाले हैं, इसकी जानकारी उन्हें ही होगी। वहीं, संगठन की मजबूती को लेकर ललन सिंह ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा दिन-रात मेहनत कर पार्टी को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं और हमारे सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे हैं।

इसके अलावा ललन सिंह ने विशेष राज्य के दर्जे को लेकर कहा कि विशेष राज्य की मांग हमारी सरकार की मांग है और यह मांग हम देश के प्रधानमंत्री से कर रहे हैं, विशेष राज्य का दर्जा दिए बगैर बिहार का समुचित विकास संभव नहीं है। दर्जा मिलने के बाद बिहार तेजी से अपने विकास की ओर अग्रसर होगा। और विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

बहरहाल, विदित हो कि जदयू के अंदर काफी समय से वर्चस्व की लड़ाई तेज है, यह किसी और के बीच नहीं, बल्कि पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की लड़ाई है। एक हैं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, तो दूसरे हैं नीतीश कुमार के भरोसेमंद और नौकरशाह से नेता बने आरसीपी सिंह। आरसीपी सिंह फिलहाल मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्रालय संभाल रहे हैं, जबकि मंत्री बनने की आकांक्षा पाले ललन सिंह न चाहते हुए भी पार्टी की बागडोर संभाले हुए हैं। वैसे, दोनों नेताओं के बीच रिश्ते में कड़वाहट तब से देखने को मिल रही है, जब आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था। तभी से वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच राजनीतिक दांव-पेंच जारी है।