पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से जदयू लागातार अपनी पार्टी का जनाधार फिर से मजबूत करने की कोशिश में लग गई है। इसको लेकर जदयू अपने संगठन के भी उलट फेर कर चुकी है। जेडीयू इस बार ऐसे लोगों के हाथ में अपना बागडोर दे रही है जो पार्टी में अपना एक तरफा वजूद रखते हो।
जेडीयू फिर से अपने पुराने सूरमाओं के ऊपर ध्यान दे रही है। साथ ही उनको पार्टी के कंधों को फिर से मजबूत बनाने की जिम्मेदारी भी दी जा रही है। जेडीयू के इन सुरमाओं को हर एक समुदाय के वोटरों को फिर से जदयू के तरफ लाने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही इन सुरमाओं में कुछ को तोड़ जोड़ की राजनीति करने को भी कहा गया है जिससे पार्टी वोट में इजाफा हो और आने वाले भविष्य में जदयू बिना किसी गठबंधन के पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सके।
ग्रामीण स्तर पर पार्टी को मिलेगी मजबूती
जेडीयू के तरफ से जिन सूरमाओं को इस काम में लगाया गया है उनमें से कुछ का नाम निकल कर जो सामने आया है। उसमें सबसे ऊपर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का है। इनको यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि यह पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को इस प्रकार प्रशिक्षित करें ताकि ग्रामीण स्तर पर पार्टी को मजबूती अधिक मिल सके।
वहीं दूसरे नाम की जो चर्चा तेज हो रही है वह हैं नीतीश कुमार के बेहद करीबी कहे जाने वाले विजय चौधरी हैं। चौधरी को बिहार की शिक्षा मंत्री के तौर पर बिहार के युवायों को लुभाने की कोशिश की जाएगी जिससे बिहार के युवा जदयू के तरफ ध्यान दें और फिर से जदयू को सरकार में लाने के लिए अपने मतों का उपयोग करें।
पार्टी के लिए ये हैं हनुमान
इसके अलावा इस बार के चुनाव में भू समाज का वोट जदयू को आशा मुताबिक नहीं मिल पाया है जिसके बाद जदयू के दिग्गज नेताओं की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि भू वोटरों को फिर से जदयू के साथ जोड़ने के लिए मुंगेर सांसद ललन सिंह को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। उनको कहा गया है कि वह अपने स्तर से इस पर काम करें। इनके बारे में कहा जाता है कि यह पार्टी के लिए हनुमान हैं मतलब पार्टी पर जब भी कोई भीषण संकट आता है तो वह संकट को हर लेते हैं।
कुशवाहा समाज के वोटरों को साधने की तैयारी
साथ ही इसके अलावा अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय करने के बाद एक बार फिर से जदयू में आए उपेंद्र कुशवाहा को भी कुशवाहा वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी गई है। कुशवाहा समाज के लोग अभी भी उपेंद्र कुशवाहा को ही अपना सबसे बड़ा नेता मानते हैं उनके एक इशारे पर वोट इधर से उधर हो सकता है ऐसे में उनको इस समाज के वोटरों को लुभाने की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
जदयू को हाईटेक बनाने का काम
वहीं नीतीश कुमार के तेज तर्रार नेता और बिहार सरकार में जल संसाधन के साथ साथ सूचना जन सम्पर्क मंत्री संजय झा को बिहार के जनता के बिहार सरकार के विकास कार्यो को ले जाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। संजय झा इस काम के लिए माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं और जदयू को हाईटेक बनाने में इनका महत्वपूर्ण रोल माना जाता है। वो लगातार इस काम में लगे हुए हैं।
पुराने लोगों को वापस लाने का काम
वहीं इन सब के साथ ही पार्टी ने अपने सबसे पुराने और दिग्गज नेता राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह जदयू के लिए बड़े काम करने में लगे हुए हैं। इनको वैसे काम में लगाया जो नेता पहले जदयू में रह चुके थे और किसी कारण से बाहर चले गए थे और वो अब फिर से जदयू के नज़दीक आना चाहते हैं उनको जदयू में शामिल करवाना ताकि इससे पार्टी की पहुंच ब्लॉक का स्तर तक मजबूत हो। सूत्रों की माने तो अभी कई और बड़े नेता है जो फ़िलहाल जदयू के साथ नहीं है लेकिन वह वापस जदयू में आना चाहते है ऐसे में उनको जदयू में लाने के लिए दादा नाम से मशहूर वशिष्ठ नारायण सिंह लगे हुए हैं, साथ ही वह नीतीश कुमार और संगठन के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस के 12 विधायक संपर्क में
इन सब के साथ ही पार्टी में बड़ा महत्व रखने वाले अशोक चौधरी को भी जदयू के तरफ से तोड़ जोड़ की राजनीति के लिए तैयार किया गया है। इनको जिम्मेदारी दी गई है कि वैसे कोई भी विधायक जो अपने पुराने पार्टी से अपना संबंध तोड़ जदयू में आना चाहते हैं उनको जदयू में वह जल्द से जल्द शामिल करवाएं। इसका ताजा उदाहरण लोजपा के विधायक राजकुमार सिंह का जदयू में शामिल होना बताया जा रहा है।
साथ ही अशोक चौधरी के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अशोक चौधरी के संपर्क में कांग्रेस के 12 ऐसे विधायक हैं जिनको अशोक चौधरी जब चाहे तब जदयू में शामिल करवा सकते हैं लेकिन अभी अशोक चौधरी उनको बाहर से ही जदयू के लिए के काम करनें की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनका कहना है कि आने वाले दिनों में बिहार के सियासत में बहुत बड़ा उलट फेर होना बाकी है।