जातीय गणना को लेकर BJP की दो टूक : नागरिकता के मामले में रोहिंग्या और बांग्लादेशी न उठाए फायदा

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sanjay JAISWAL

पटना : बीते दिन सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सभी दलों की राय एक है और सर्वसम्मति से बिहार में जातीय जनगणना कराई जाएगी। वहीं, सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराए जाने को लेकर भाजपा ने कुछ आशंकाएं जताई है।

इसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जातीय गणना को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल हुआ। इस बात की सहमति वय्क्त की गई कि जातीय एवं जाति में भी उपजातिय आधारित सभी धर्मों की गणना या सर्वेक्षण होगा।

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भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं। अभी पीएम नरेंद्र मोदी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं। हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते। जायसवाल ने बताया कि मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा।

पहला जातीय एवं उप जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए।

दूसरा सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति पिछड़े नहीं बन जाएं। ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है ।

तीसरा भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4:30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है । यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।

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