पटना : सोमवार 5 नवंबर को धनतेरस है। भारत में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनत्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान धन्वंतरि की जयन्ती भी मनाई जाती है। समुद्र मंथन के दौरान हाथों में श्वेत अमृत कलश लेकर आज के दिन ही भगवान धन्वंतरि अवतरित हुए। संपूर्ण संसार को आयुर्वेद जैसी महान विद्या का उपदेश देने वाले देव धन्वंतरि ही आरोग्य के जनक माने जाते हैं। वे आरोग्य, आयुष्य, धन—धान्य एवं सुख-समृद्धि देने वाले देव हैं। इसी दिन धन्वंतरि एवं धनाध्यक्ष कुबेर की पूजा होती है। वहीं यमराज के निमित दीपदान भी किया जाता है।
आधुनिक मुहूर्तशास्त्रा में यह अबूझ मुहूर्त के रूप में स्थापित हो चुका है। विवाह को छोड़ कर प्रायः सभी शुभ कार्य धनतेरस पर किए जाने की परम्परा बन चुकी है। गृहारम्भ हो या गृहप्रवेश अथवा व्यापार आरम्भ हो या सगाई, सभी के लिए धनतेरस एक अबूझ मुहूर्त के रूप में है। धनत्रयोदशी पर दोपहर या उसके पश्चात सोना-चांदी या बर्तन खरीदे जाने चाहिए। यह कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किए जाए तो अत्यधिक शुभफलदायक होता है।
धनतेरस पर खरीदारी का आलम यह है कि भारत में यह दिन सर्वाधिक बिक्री का दिन बन गया है। आधुनिक मुहूर्तशास्त्रा में धनतेरस को अक्षयातृतीया, विजयदशमी जैसे अबूझ मुहूर्तों की श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है। इस दिन यम के निमित दीप दान करना चाहिए। दीपदान करने से यमराज प्रसन्न रहते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। दीप दान संध्या के समय करना चाहिए।
क्या है धनतेरस का मुहूर्त और कैसे करें पूजन
सबसे पहले दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर का पूजन करें। तत्पश्चात् कुबेर का ध्यान करते हुए फूल चढ़ाएं और अपनी उन्नति की प्रार्थना करें। संध्या 6 से 8 बजे के मध्य पूजा करना शुभ रहेगा।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त : दोपहर 1ः00 से 2ः30 बजे तक, संध्या 5ः35 से 7ः46 बजे तक, रात्रि 12ः17 से 2ः31 बजे तक।