जल और ऊर्जा का पारंपरिक संचयन-संवर्द्धन पर्यावरण संरक्षण को जरूरी
पटना : जल संचय और गैरपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के विकास के सहारे पर्यावरण संरक्षण व सतत विकास के रास्ते पर भारत को तेजी से ले चलने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से छात्रों को अवगत कराने के लिए कालेज आफ कामर्स आर्ट्स एण्ड सायंस में सोमवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने जल संचय: उपयोगिता एवं तकनीक, उद्योग व भूजल संरक्षण एवं सौर ऊर्जा विषयों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
कॉमर्स कालेज में संगोष्ठी का आयोजन
समारोह के मुख्य अतिथि कालेज आफ कामर्स साइंस एण्ड आर्ट्स के प्राचार्य डा.तपन शांडिल्य ने कहा कि स्कूल कालेज जैसे शिक्षण संस्थानों को जल संरक्षण एवं प्रदूषण रहित सौर ऊर्जा के उपयोग को लेकर जागरूकता लाने के अभियान को प्रमुखता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे कालेज में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की इकाई लगायी जा रही है। हमारे कालेज से जो विद्युत का उत्पादन होगा उसे पावर स्टेशन ले लेगा एवं इसके बदले में हमारे संस्थान में खर्च होने वाली बिजली का शूल्क कम करेगा।
जलसंचयन एवं तकनीक विषय पर आईसीएआर के वैज्ञानिक डा. आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से वर्षा जल संचयन एवं संरक्षण का ज्ञान रहा है। लेकिन, वर्तमान समय में जलसंरक्षण के प्राचीन उपकरणों व परंपरा की स्थिति अत्यंत खराब हो गयी है। इसके कारण भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आयी है। उन्होंने आहर-पइन, बावली, दांग, चंवर जैसे जल संचयन की प्राचीन संरचनाओं के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही उन्होंने मिट्टी की प्रकृति के अनुसार जल के प्रयोग पर भी विस्तार से जानकारी दी। सोन नहर क्षेत्र से संबंधित अपने अध्ययन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जागरूकता के अभाव में सोन नहर क्षेत्र में सिंचाई की समस्या है। कहीं पानी के बिना फसल सूख जाती है, तो कहीं अधिक सिंचाई के कारण मिट्टी की उपज शक्ति कम हो रही है और फसल मारी जाती है। उन्होंने कहा कि धान के खेत की मेड़ को मजबूत कर भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।
डा. अनीश कुमार ने भूजल की स्थिति एवं उसके कानूनी पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिहार के कई प्रखंड ऐसे हैं जहां औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल का दोहन आत्मघाती होगा। ऐसे क्षेत्रों में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। वहीं डा. ए रहमान ने सौर ऊर्जा के उपयोग की जानकारी दी। इस कार्यक्रम का आयोजन बिहार स्टेट प्रोडक्टीविटी काउंसिल, पटना मैनेजमेंट एसोशिएशन व सिविल सोसायटी फोरम ने संयुक्त रूप से किया था।