जगदानंद के तेजस्वी CM बयान पर ललन सिंह समेत समूचे जदयू को सूंघ गया सांप
पटना: राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अगले वर्ष 2023 में तेजस्वी यादव के बिहार का सीएम बनने और मौजुदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के देश की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने का ऐलान किया। जगदानंद के इस बयान के बाद आज शुक्रवार को दिनभर बिहार में सियासी भूचाल खड़ा हो गया। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत नीतीश के सारे क्षत्रपों को सांप सूघ गया। सभी मीडिया के सवालों से या तो किनारा कर रहे या फिर चुप्पी साध रहे।
ललन सिंह ने सवालों से काटी कन्नी, बचते नजर आये
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से जब पटना में पत्रकारों ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के दावे पर सवाल पूछा तो उन्होंने इसपर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने इज्जत बचाते हुए महज यह कह कन्नी काट ली कि आप प्रदेश अध्यक्ष से सवाल कीजिये। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार के एक अन्य वरिष्ठ क्षत्रप और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी से जब यही सवाल दागा गया तो उन्होंने भी इसपर कुछ नहीं बोलने से इनकार कर दिया।
अशोक चौधरी ने क्या कहा, खुद नहीं समझा पाये
अशोक चौधरी ने महज इतना कहा कि व्यक्तिगत विचार और बेतुके बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। लेकिन अगले ही पल संभलते हुए उन्होंने कहा कि जदयू और राजद में ऐसी कोई बात नहीं है। हमारे बीच कहीं कोई दिक्कत नहीं है। मजबूती के साथ हमारा गठबंधन चल रहा है।
क्या कहा राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि अगले वर्ष 2023 में तेजस्वी यादव बिहार के सीएम बनेंगे और नीतीश कुमार देश की लड़ाई लड़ेंगे और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो जायेंगे। जगदा बाबू ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने खुद भी यह घोषणा की थी। पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या बिहार के भविष्य की लड़ाई तेजस्वी यादव के हाथों में नीतीश कुमार पद के साथ सौंपेंगे। उनका जवाब था तो और क्या। प्रशासनिक ओहदा तो वही है न। हमारी कार्यपालिका की शक्ति मुख्यमंत्री पद में निहित है।
कुशवाहा एकमात्र नेता जिन्होंने संभाला थोड़ा मोर्चा
हालांकि जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा एकमात्र ऐसे नेता रहे जिन्होंने थोड़ा मोर्चा संभाला। कुशवाहा ने कहा मुझे बेहद हैरानी हुई है जगदानंद सिंह के बयान पर। आखिर उन्होंने इस तरह का बयान क्या सोचकर दिया है। इस तरह के बयान की इस वक्त क्या जरूरत पड़ गई। मुझे लगता है कि जगदा बाबू का बयान उस पिता के एक्शन की तरह है जो किसी अनहोनी के भय से अपने बेटे या बेटी की शादी जैसे-तैसे निपटा लेना चाहता है।