जब सुमित्रा महाजन हुईं पानी-पानी

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पटना : यह सच है कि भारत स्वतंत्र हो गया है। पर भारत से अंग्रेजों की छाया न तो पूरी तरह से समाप्त हुई और न ही दुनिया के मानस पटल से। इसका कारण और परिणाम लोकमंथन 2018 में स्पष्ट रूप से सामने आया। अंग्रेजी मानसिकता और अंग्रेजों की छाया एक ही जैसे शब्द हैं। एक तरफ़ जहां लोकमंथन 2018 के उद्घघाटन सत्र में उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू अपने उद्बोघन में बार— बार यह कहते रहे कि भारत के लोगों को अंग्रेजी मानसिकता से बाहर आना होगा। तभी भारत का विकास हो सकेगा। वहीं भारत की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपने जीवन के कटु सत्य का उल्लेख किया। दुनिया के मानस पटल पर ब्रिटिश भारत के वर्तमान में प्रभाव को रेखांकित किया। ब्रिटिश भारत का इतिहास कई बार वर्तमान पर भारी पर जाता है। और इसी तरह की घटना की साक्षी सुमित्रा महाजन बनीं।

घटना कुछ ऐसी है। सुमित्रा महाजन अपने लन्दन दौरे पर थी। वहां शाही ब्रिटिश खजाने में रखे कोहिनूर हीरे को देखने गयीं। एक भारतीय महिला होने के नाते स्वभाविक सहज आकर्षण कोहिनूर हीरे के लिए होना ही था। उसे देखने की लालसा में उनके कदम हीरे के और पास जाना चाहते थे। पर सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी उन्हें रोक रहे थे। देखने की लालसा के कारण उन्हें थोड़ा क्षोभ हुआ। और इस क्षोभ के कारण सुमित्रा महाजन ने सुरक्षाकर्मी को कह दिया—तुम जानते हो यह हमारा है। सुरक्षाकर्मी ने ताबड़तोड़ ज़वाब दिया। हां मै जानता हूं। यह आपका था। पर आप हिनुस्तानी लोग इसे अपना नहीं रख सके। यह जवाब सुनकर सुमित्रा महाजन निःशब्द हो गयीं। कोई भी भारतीय इस तरह की परिस्थिति में कैसा अनुभव करेगा। यह कहने की जरुरत नहीं है। इस तरह की घटना सुनकर मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है। क्या हम हिनुस्तानी कोहिनूर भारत ला सकते है?

swatva

राजीव राजू

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