इत्तेफाक नहीं है गुप्तेश्वर पांडेय का डीजीपी बनना, जानें कैसे?

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पटना : श्री गुप्तेश्वर पांडेय सूबे के नये डीजीपी बनाये गये है। 1987-बैच के आईपीएस श्री पांडेय अभी पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण हैं और बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं।
गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार बक्सर ज़िला के मूल निवासी श्री पांडेय अगले आदेश तक बिहार के पुलिस महानिदेशक बने रहेंगे। वे केएस द्विवेदी से पदभार ग्रहण करेंगे। द्विवेदी आज ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। बीएमपी स्थित मिथिलेश स्टेडियम में आज शाम वे परेड की अंतिम सलामी लेंगे।
श्री पांडेय का डीजीपी बनना एक इत्तफ़ाक़ नहीं है। उनका कार्यकाल 2021 तक है तथा यूपीएससी के अनुसार डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही बीजेपी में उनकी गहरी पैठ है। 2014 में श्री पांडेय ने वीआरएस लेने की पेशकश की थी। सूत्रों का कहना है कि श्री पांडेय बक्सर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें टिकट का भरोसा दिया था। तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल के हस्तक्षेप के बाद उनका वीआरएस का प्रस्ताव वापस लिया गया और उनकी सेवा बहाल की जा सकी थी। पांडेय की नियुक्ति से पुलिस विभाग में वरीय अधिकारियों के दूसरे खेमे में मायूसी छा गयी है।
ज्ञात हो कि श्री पांडेय ने नशा विमुक्ति के लिए राज्य भर में अभियान शुरू किया। इस अभियान को काफी सफलता मिली। साथ ही श्री पांडेय भीड़ कंट्रोल में निपुण माने जाते हैं। सरकार ने पिछले वर्ष साम्प्रदायिक तनाव को खत्म कर समाज में अमन चैन बहाल करने में उनकी मदद ली थी। देखना यह है कि श्री पांडेय के पुलिस मुखिया बनने के बाद कहीं आशीष रंजन सिंहा एवं अभयानंद के बीच चल रहे अंदरूनी खिचा—तानी का सिलसिला पुनः तो नहीं बहाल हो जायेगा।
रमाशंकर

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