क्या फिर अपना ‘रेट’ बढ़ा रहे नीतीश! तेजस्वी के इफ्तार के बाद अब अमित शाह संग मीटिंग
नयी दिल्ली/पटना : बिहार के सीएम नीतीश कुमार गजब चतुराई के धनी हैं। जहां कल शुक्रवार को उन्होंने तेजस्वी की इफ्तार पार्टी में शामिल होकर एनडीए की धड़कनें बढ़ा दी, वहीं अब आज उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पटना एयरपोर्ट पर रिसिव कर राजद वालों को चौंका दिया। मजा तो तब आया जब तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप ने लगे हाथ नीतीश के राजद से फिर जुड़ने की हवा उड़ा दी। लेकिन आज शनिवार को नीतीश कुमार ने न सिर्फ अमित शाह को रिसिव किया बल्कि उनके साथ रणनीतिक बैठक भी की। इससे राजद के हवाबाजों की एअर टाइट हो गई।
बड़ा भाई बनने और बने रहने की कूटनीति
राजनीतिक प्रेक्षक बिहार में पिछले दो दिन के पॉलिटिकल घटनाक्रम को राज्य के आगामी राजनीतिक व्यवहार से जोड़कर देख रहे हैं। उनमें इस पर एक राय है कि नीतीश हों या राजद या फिर भाजपा, सभी एक दूसरे के साथ के बिना नहीं चल सकते। लेकिन सभी बड़ा भाई ही बनना चाहते हैं। जो भी राजनीतिक हरकतें और बयान इस समय नजर आ रहे हैं, वे सभी 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखकर ही सामने आ रहे हैं।
राजद और जदयू का दांव
अगर इस थ्योरी का विश्लेषण करें तो यह साफ हो जाता है कि जहां राजद के तेजस्वी यादव ने इफ्तार पार्टी को आगामी संभावनाओं के लिहाज से गैरराजनीतिक करार दिया। वहीं तेजप्रताप ने इस मौके को एनडीए में राजनीतिक अनिश्चितता क्रियेट करने के मौके के तौर पर लिया। यहां दोनों भाई आगामी चुनाव के लिए अधिकतम फायदे का ही जुगाड़ कर रहे थे, और इसके लिए वे नीतीश कुमार का उपयोग करना चाह रहे थे। दूसरी तरफ नीतीश अपने ही फन के माहिर। तभी तो भाजपा और राजद को एक—दूसरे का ‘डर’ दिखा वे पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से बिहार पर राज कर रहे हैं।
भाजपा की कसमसाहट
जहां तक बात भाजपा की है तो ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी पार्टी अभी तक बिहार में ‘छोटा भाई’ ही बनी हुई है। यानी नीतीश के पीछे ही लगा रहना उसकी मजबूरी वाली इमेज बना रही है। लेकिन हाल के वर्षों में बिहार भाजपा नेताओं ने नीतीश के फैसलों पर खुलकर बोलना शुरू कर दिया। पार्टी भी अब राज्य में लीड रोल में आने का मन बना चुकी है। वहीं लगातार इतने वर्षों तक नीतीश के शासन से अब एनडीए का वोटर भी ऊब चला है। लोग अब कोई फ्रेश नेतृत्व चाह रहे हैं जो उन्हें शासन में नवीन ऊर्जा दे सके।
नीतीश के दिमाग में क्या?
लेकिन यक्ष प्रश्न यह कि नीतीश कुमार के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है? इतना तो तय है कि उम्र के इस पड़ाव और लगातार सत्ता में रहने के बाद अब जदयू सुप्रीमो नीतीश भी गौरवपूर्ण एग्जिट पर भी जरूर विचार कर रहे हैं। ऐसे में उनके सामने उपराष्ट्रपति वाला भाजपा का पैकेज भी है। दूसरी तरफ नीतीश ने खुद आज शनिवार को राजद के इफ्तार वाली अटकलबाजी को बकवास करार दिया। लेकिन जैसा कि नीतीश का इतिहास रहा है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कब उनकी उनकी अंतरात्मा फिर जाग पड़े, कुछ कहा नहीं जा सकता।