इस बार बिहार बोर्ड ने कैसे रचा इतिहास

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पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मार्च के महीने में इंटरमीडिएट का रिजल्ट निकालकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने प्रेस और उपस्थित बुद्धिजीवियों को बताया कि पहली बार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मार्च के महीने में रिजल्ट निकाला है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष परीक्षा में बैठने के लिए फॉर्म भरनेवाले विद्यार्थियों की संख्या 13 लाख 15 हज़ार 312 थी और इस परीक्षा में पासिंग परसेंटेज 79 :76 परसेन्ट रहा। आर्ट्स में 425555 विद्यार्थियों ने परीक्षा दिया और उनका पासिंग परसेंटेज 76 परसेंट रहा। वाणिज्य में 640135 विद्यार्थियों ने एग्जाम दिया और उनका पासिंग परसेंटेज 93.02 परसेंट रहा। जबकि साइंस में परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की संख्या 5 लाख35 हज़ार 110 रही और उनका पासिंग परसेंटेज 82 प्रतिशत रहा। बिहार बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि जबकि इस महीने में बोर्ड की परीक्षाएं होती रहती हैं। उन्होंने बताया कि इस बार आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया। एडुकेशनल क्वालिटी में भी काफी सुधार किया गया। इस वर्ष भी इंटर की परीक्षा वर्ष 2018 की भांति ही 6 फरबरी से ही शुरू किया गया और मैट्रिक की परीक्षा 21 फरबरी से 28 फरबरी के बीच किया गया। 2 मार्च से 136 केंद्रों पर मूल्यांकन शुरू किया गया और 28 दिनों के भीतर परिक्षा्फल घोषित कर दिया गया। आनंद किशोर ने कहा कि किसी भी बोर्ड के लिए ये गर्व का विषय हो सकता है । बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष और भी कई तरह के सुधार किए गए। प्रश्नपत्रों और मूल्यांकन के पैटर्न में काफी सुधार किया गया जिससे इस वर्ष पास करने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत काफी अच्छा रहा। शार्ट क्वेश्चन को बढ़ाया गया और लांग क्वेश्चन में भी काफी बदलाव किया गया। पटना में सभी टीचर्स का वर्कशॉप करवाया गया और स्टेप वाइज सारीबातें सिखाई गईं। उन्होंने बताया कि इस बार सभी 136 मूल्यांकन केंद्रों में कंप्यूटर की व्यवस्था की गई और सॉफ्टवेयर डेवेलोप किया गया जिससे जिस दिन परीक्षा होती थी उसी दिन शाम को कॉपी को भेज दिया जाता था। इससे पहले जो कॉपी जांच करने की प्रक्रिया थी उसमे इतनी जटिलताएं होती थीं की कॉपी दस दिन बाद बिहार बोर्ड में पहुंच पाता था। कंप्यूटर के माध्यम से सभो 38 जिलों में बार कोड एडीएम की अध्यक्षता में की गई। बार कोडिंग की सहायता से सभी जगह कॉपी उपलब्ध कराई गई।

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि बहुत दिनों से यहां के विद्यार्थियों की शिकायत थी कि दूसरे बोर्डो की तुलना मे बिहार के टॉपर को कम मार्क्स मिलते हैं। हाल के वर्षो में 88 परसेंट से ज्यादा किसी को भी मार्क्स नहीं मिले थे।उसी आलोक में सीबीएसई और अन्य राज्य बोर्डो की तरह बिहार में भी मोडिफिकेशन नीति लागू की गई और उसका परिणाम भी बहुत सुखद रहा।

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आनंद किशोर ने कहा कि  इस बार बिहार मे बार कोड और लिथो कोड को लागू किया गया। इस तकनीक के प्रयोग से बचचो को बहुत लाभ मिला और उत्तीर्ण होनेवाले बच्चों कि संख्या भी काफी बढ़ गई। उन्होंने बताया कि पूर्व के वर्षो में बच्चों को जो कॉपी दी जाती थी उसमे उन्हें27- 28 गोले भरने पड़ते थे। जैसे सेंटर का नाम, खुद का नाम आदि। और यदि एक भी गोला छूट जाता था तो उनका रिजल्ट पेंडिंग में डाल दिया जाता था और फिर लंबी प्रक्रिया से उन्हें गुजरना पड़ता था। लीथो कोड और बार कोड बनाकर सभी विद्यार्थियों को पहुंचाया गया। हर विद्यार्थी के नाम से बनने के बाद बहुत ही कम त्रुटि हो  सका। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके कदाचार और नकल पर पूरी तरह से लगाम लगाया गया। मूल्यांकन और प्रश्नपत्रों के पैटर्न में भी बदलाव किए गए जिसका परिणाम भी बहुत ही अच्छा रहा।

मधुकर योगेश

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