RSS की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ हुई चर्चा

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बेंगलुरु : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बेंगलुरु के चेन्नहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में चल रहे अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के अंतिम दिन शनिवार को वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के उल्लेखनीय, समन्वित एवं समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा इसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा निभाई गई भूमिका को लेकर चर्चा की गयी।

इस प्रतिनिधि सभा में कहा गया कि जैसे ही इस महामारी तथा उसके हानिकारक परिणामों के समाचार आने प्रारम्भ हुए, केंद्र तथा राज्यों का शासन एवं प्रशासन तन्त्र तुरंत सक्रिय हो गया। जनसामान्य को इस रोग के लक्षण व उससे बचाव के लिए आवश्यक सावधानियों से अवगत कराने हेतु देशभर में विभिन्न सृजनात्मक साधनों एवं मीडिया के सकारात्मक सहयोग द्वारा एक वृहद् जनजागरण का कार्य हुआ।

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जिसके परिणामस्वरूप पूरे देश ने एकजुट होकर निर्धारित नियमों का पालन किया और प्रारम्भिक काल में अनुमानित विभीषिका से हम बच सके। कोरोना जाँच तथा रुग्ण सेवा के कार्य में संलग्न सभी चिकित्सकों, नर्सों, अन्य स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कर्मियों ने चुनौती को स्वीकार किया एवं अपने जीवन को खतरे में डालकर भी वे कार्य में जुटे रहे।

कोविड टीकाकरण अभियान

इसके साथ ही समाज के अनेक वर्गों जैसे सुरक्षा बल, शासकीय कर्मी, आवश्यक सेवाओं तथा वित्तीय संस्थाओं से जुड़े कर्मियों सहित, संगठित तथा असंगठित क्षेत्र से संबंधित अनेक समूहों की सक्रियता के कारण ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में दैनंदिन जीवन का प्रवाह सामान्यतः अबाधित रूप से चलता रहा। ये सभी कार्य और विभिन्न शासकीय विभागों के द्वारा किए गए समन्वित प्रयास यथा ‘‘श्रमिक ट्रेन’’, ‘‘वंदेभारत मिशन’’ और वर्तमान में चल रहा ‘‘कोविड टीकाकरण अभियान’’ सराहनीय है।

इसके आलावा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा वैश्विक महामारी से जूझते हुए निःस्वार्थ भाव से कर्तव्य पालन कर रहे अनेक कोरोना योद्धाओं के साहस और बलिदान का स्मरण करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त किया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कहा गया कि इस कालखण्ड में महामारी के कारण हजारों लोग काल ग्रसित हो गए। हम उन दिवंगत आत्माओं को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।

इस वैश्विक संकट में भारत ने अपनी ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की परंपरा के अनुरूप प्रारंभिक काल में हाईड्रोक्सिक्लोरोक्विन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तद्नंतर ‘‘वैक्सीन-मैत्री’’ अभियान द्वारा विश्व के अनेकानेक देशों की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाया। भारत द्वारा किए गए समयोचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विश्व के अनेक नेताओं व देशों द्वारा प्रशंसा की गई।

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