दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है। मुझे बताया गया है कि इस नीति के निर्माण में, ढाई लाख ग्राम पंचायतों, साढ़े बारह हजार से अधिक स्थानीय निकायों तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। 1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 परसेंट निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गयी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है जो राष्ट्र-गौरव के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से ओत-प्रोत हों और सही अर्थों में ग्लोबल सिटिजन बन सकें। शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। इस शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन होना चाहिए तथा उनकी आजीविका, मान-मर्यादा और स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में शैक्षिक रूप से सुदृढ़, मल्टी-डिसिप्लिनरी और इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन कार्यक्रम शुरू करने का प्रावधान है। वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में केवल उच्च स्तरीय संस्थान ही सक्रिय रह जाएंगे।
राष्ट्रपति ने राज्यपालों से कहा कि स्कूली शिक्षा को मजबूत आधार देने के लिए 2021 तक, इस शिक्षा नीति पर आधारित, टीचर्स एजुकेशन का एक नवीन और व्यापक पाठ्यक्रम तैयार करने का लक्ष्य है। टीचर्स एजुकेशन, उच्च शिक्षा का अंग है। अतः राज्य स्तर पर आप सबको टीचर्स एजुकेशन से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है। भारत में व्यावसायिक शिक्षा के प्रसार में तेजी लाने की आवश्यकता को देखते हुए यह तय किया गया है कि स्कूल तथा हायर एजुकेशन सिस्टम में वर्ष 2025 तक कम से कम 50 परसेंट विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी।
नई शिक्षा नीति का तारीफ़ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा का ही अंग समझा जाएगा और ऐसी शिक्षा को बराबर का सम्मान दिया जाएगा। इससे बच्चों और युवाओं में कौशल वृद्धि के साथ-साथ श्रम की गरिमा के प्रति सम्मान का भाव भी पैदा होगा। इस शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति को प्राथमिकता दी गई है। इससे विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी और भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। विविध भाषाओं वाले हमारे देश की एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने में इससे मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कलाओं और संस्कृति के संवर्धन को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि वे भारत की पहचान के साथ-साथ हमारी अर्थ-व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। भारत जैसी बड़ी और जीवंत अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए ‘नॉलेज-क्रिएशन’ तथा रिसर्च को प्रोत्साहित करना जरूरी है। केंद्र व राज्य सरकारों को रिसर्च तथा इनोवेशन में निवेश का प्रतिशत बढ़ाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी राज्यपाल अपने राज्यों में नई शिक्षा नीति को कार्यरूप देने के लिए थीम आधारित वर्चुअल सम्मेलन करें। शिक्षा नीति के विभिन्न आयामों पर व्यापक विचार-विमर्श के उपरान्त आप अपने सुझाव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेज सकते हैं ताकि उनका देशव्यापी उपयोग किया जा सके।
21वीं सदी में भारत को एक नॉलेज इकॉनमी बनानी है
वहीँ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए। शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है।
पीएम मोदी ने कहा कि गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भी भारत को हम एक नॉलेज इकॉनमी ( Knowledge Economy) बनाने के लिए प्रयासरत हैं। आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते जॉब्स , नेचर ऑफ़ वर्कको लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञानं और स्किल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। नई शिक्षा नीति, स्टडिंग के बजाय लर्निंग पर फोकस करती है और Curriculum से और आगे बढ़कर क्रिटिकल थिंकिंग पर ज़ोर देती है। इस पॉलिसी में प्रोसेस से ज्यादा पैशन , प्रक्टिकलिटी और परफॉरमेंस पर बल दिया गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है, कोई भी System, उतना ही Effective और Inclusive हो सकता है, जितना बेहतर उसका गवर्नेंस मॉडल होता है।