भाग्यनगर बनते-बनते रह गया हैदराबाद

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ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए आज मतगणना जारी है। अभी तक जारी परिणाम के मुताबिक भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। पहले स्थान पर सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) है। वहीं ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) तीसरे स्थान पर है।

दरअसल, सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाते हुए भाजपा ने स्थानीय चुनाव में शानदार प्रदर्शन की। इस प्रदर्शन के आधार पर यह कहना प्रासंगिक होगा कि अगले चुनाव में भाजपा तेलंगाना में वहां की पार्टीयों के लिए मुसीबत खड़ा कर सकती है।

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बहरहाल, महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर भाजपा इतनी सीटें जीतने में सफल कैसे हो गई। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि हैराबाद में वास्‍तविक रूप से चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगुदेशम पार्टी (TDP) के वोट भाजपा में शिफ्ट हुई। यही कारण है कि भाजपा हैदराबाद के स्थानीय चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।

वहीं, इस बात से अलग और महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस उस उत्साह से चुनाव नहीं लड़ी, जिस उत्साह से चुनाव भाजपा लड़ी। भाजपा ने अपने लगभग हर शीर्ष नेता को चुनावी मैदान में उतारी। इसका फायदा भाजपा को देखने मिला। क्योंकि, जब एक राजनीतिक पार्टी का काम चुनाव लड़ना है तो पार्टी सत्ता प्राप्त करने के लिए अपने कार्यकर्ता से लेकर हर छोटे-बड़े नेताओं को चुनावी मैदानी में उतारना आवश्यक है। इससे यह जाहिर होता है कि पार्टी जनहित के मुद्दों को लेकर गंभीर है।

वहीं, यह चुनाव चर्चे में इसलिए आया। क्योंकि, भाजपा नेता व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जो लोग हिंदुस्तान में रहते हैं, वह हिंदुस्तान का नाम शपथ में नहीं लेते। यह घटना दिखाती है कि ओवैसी की AIMIM का असली चेहरा क्या है। हमने फैजाबाद का नाम अयोध्या किया। हमने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया। यह हमारे संस्कृति के प्रतीक हैं तो हैदराबाद का प्राचीन नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता?’

काफी हद तक योगी के इस बयान का फायदे के तौर पर देखी जा रही है। क्योंकि, पार्टी वहां दूसरे नंबर पर है और पहली बार भाजपा को इतनी बड़ी सफलता मिली है। वैसे काफी हद तक हैदराबाद तो भगवामय हो गया, लेकिन भाग्यनगर नहीं बन पाया।

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