पीएम मोदी की माफी बनाम टिकैत के आंसू! भौंचक्का रह गए ‘आंदोलनजीवी’

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नयी दिल्ली : जबसे तीन कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान हुआ है, सोशल और मेन स्ट्रीम मीडिया में बहस चल पड़ी है कि कैसे प्रधानमंत्री के इस अचानक ऐलान ने राकेश टिकैत और अन्य आंदोलनजीवियों की एक ही झटके में हवा निकाल दी। भले ही इसका श्रेय लेने के लिए किसान आंदोलन के नेता और विपक्षी पार्टियां हाथ पांव मार रही हैं, लेकिन पीएम के इस मास्टर ऐलान से वे सभी हतप्रभ रह गए। उन्हें मौका ही नहीं मिला कि वे इसे अपने पक्ष में भुनाने की तैयारी कर पाते।

अंजाम पर चल पड़ा अब किसान आंदोलन

दरअसल, पीएम मोदी ने जिस तरह किसानों के एक तबके को कृषि कानूनों की जरूरत समझा पाने में अपनी विफलता के लिए माफी मांगी, इसने किसान संगठनों और इसके नेताओं को पूरी तरह बैकफुट पर कर दिया है। यही कारण है कि भारतीय किसान यूनियन के नेता और राकेश टिकैत के बड़े भाई ने यह मान लिया कि मोदी जी के इस कदम से न वे जीते और न किसान हारे। यानी राकेश टिकैत के रोने के बाद जी उठा ये आंदोलन अब मोदी की माफी भरी अपील से अपने अंजाम पर बढ़ चला है।

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पश्चिमी यूपी के किसान हुए भावुक

इधर हाल ही में यूपी भाजपा में शामिल हुए पश्चिमी यूपी के बड़े किसान नेता नरेंद्र भाटी जिनकी गुज्जरों के बीच काफी पैठ है, उन्होंने साफ कर दिया कि मोदी जी ने किसानों के दिल पर पड़ा एक बोझ हटा दिया। भाटी ने स्पष्ट कहा कि कृषि कानून के मुद्दे पर किसान का दिमाग टिकैत और अन्य के हिसाब से चल रहा था, जबकि उनका दिल मोदी जी के लिए धड़कता था। अब पीएम ने कानून वापस कर और किसानों से माफी मांग उनकी दुविधा हटा दी है।

किसान नेता क्यों हैं किंकर्त्तव्यविमूढ़

बताया जाता है कि कृषि कानूनों पर करीब एक दर्जन बार केंद्र और किसान नेताओं में बातचीत हुई थी। लेकिन किसान नेता कानूनों की पूर्ण वापसी पर ही अड़े रहे। तब केंद्र ने बातचीत ही बंद कर दी। अब प्रकाश पर्व पर पीएम मोदी के सरप्राइज ने उन्हें क्लूलेस कर दिया है। किसान नेताओं को उम्मीद थी कि उनसे बात के बाद ऐसा हो जिससे उन्हें भी इसका श्रेय मिले

पीएम के दांव से छिन गया किसानों का मुद्दा

यही नहीं, कानून वापसी के साथ ही किसानों से पीएम की माफी ने छोट—बड़े सभी किसानों को उन्हें देश में सर्वमान्य बना दिया। किसानों को यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री न सिर्फ किसान नेताओं, बल्कि सीधे किसानों से ही संवाद करना चाहते हैं। जबकि आंदोलन पर किसान नेताओं के ताजा ऐलान से अब उनकी मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। यूपी, बिहार और हरियाणा—पंजाब में लोग खुलकर राय भी रखने लगे हैं। साफ है कि पीएम की किसानों से घर वापसी की अपील के बाद भी टिकैत का नया रवैया किसानों को पसंद नही आ रहा। स्पष्ट है कि पीएम मोदी के दांव से राकेश टिकैत समेत तमाम किसान नेता चुनावो में अब भाजपा के खिलाफ यूं खुलकर प्रचार नहीं कर सकेंगे।

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