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नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मगही सम्मेलन में मगही भाषा की दिशा एवं दशा पर चर्चा

– सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार सहित देश-विदेश के दर्जनों मगही भाषी हुए शामिल

नवादा : नई दिल्ली के शांति प्रतिष्ठान में रविवार को आयोजित विश्व मगही सम्मेलन में करोड़ों लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा मगही की दिशा एवं दशा पर विस्तार से चर्चा की गई। आयोजित सम्मेलन में देश-विदेश के दर्जनों हिंदी व मगही के कवि, साहित्यकार व इतिहासकार समेत कई राजनेताओं ने भाषा के विकास के संदर्भ में अपनी बातें रखी।

बता दें कि चौथा अंतरराष्ट्रीय मगही सम्मेलन सह राम प्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार समारोह का आयोजन दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया था। इस बाबत बिहार मगही मंडप के अध्यक्ष राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सम्मेलन में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, नेपाल के पूर्व गृहमंत्री भरत शाह, नेपाल दूतावास के सचिव, जहानाबाद के सांसद चंद्रेश्वर चंद्रवंशी आदि शामिल हुए।

नेपाल निवासी वीर बहादुर महतो के संयोजन और डा. उमेश नाथ वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि यह बेहद दुखद बात है कि 18 साल से मगही भाषी व्यक्ति बिहार का मुख्यमंत्री बने हुए है और करोड़ो लोगो के द्वारा बोली जानी वाली मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए बिहार विधानसभा से एक प्रस्ताव भी पारित नहीं हो पाया है।

क्षमा याचना और पछतावा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दिन और मुख्यमंत्री रह जाता तो मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव विधानसभा से पास करके भेज देता। वही केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि हमारी सरकार और प्रधानमंत्री लोक भाषाओं को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रयासरत है। मैं चाहूंगा कि एक मापदंड निर्धारित हो जाए। ताकि लोक भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। कार्यक्रम में जहानाबाद के सांसद ने मगही भाषा के विकास के लिए अपना हर संभव समर्थन प्रदान करने का आश्वासन दिया।

मगही भाषा साहित्यकार इतिहासकार के पुरुषार्थ से बढ़ रही है।वही नवादा के हिंदी मगही के साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने कहा की मगही भाषा सर्वहारा वर्ग की भाषा है। बिना सरकारी मदद के मगही भाषा साहित्यकार इतिहासकर के पुरस्कार पुरुषार्थ से आगे बढ़ रही है। एक दिन मुकाम हासिल करके रहेगी। कहा गया की 30 वर्षों से बिहार में साहित्य ,कला, संस्कृति विहीन सरकार चल रही है।

आयोजित कार्यक्रम में मगध नागरिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस सिंह, व्यंगकार उदय भारती, गीतकार गौतम कुमार सरगम, पंकज मिश्रा आदि शामिल हुए। कार्यक्रम की संध्या में अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसका संचालन नवादा के युवा कवि ओंकार कश्यप और नेपाल के कवि फुलगेन मगही ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में मगही के विकास में अहम योगदान के लिए तीन लोगों को राम प्रसाद सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया।