पटना : बिहार की नगर विकास मामलों के मूर्धन्य विद्वान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं के जुड़े रहने वाले योगेंद्र त्रिपाठी का निधन हो गया। उनके निधन से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। त्रिपाठी अपने पीछे 5 पुत्रों, 4 पुत्रवधुओं, एक पुत्री–दामाद और 8 पोते–पोतियों व नाती–नतीनियों का भरा परिवार छोड़कर गए हैं।
राजनीतिक सामाजिक और मीडिया जगत के आने लोगों ने अनेक गणमान्य लोगों ने योगेंद्र त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति और उनके परिजनों के इस दुख को सहने की शक्ति देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया।
योगेंद्र त्रिपाठी देहावसान तक विभिन्न संस्थाओं में विभिन्न पदों पर कार्यरत्त रहे। “केएन सहाय इंस्टिट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल एंड अर्बन डेवलपमेंट”, पटना के निदेशक पद पर कार्यरत थे। इसके साथ ही वे भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था “इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन” नई दिल्ली के लाइफ मेंबर थे।
“नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स” नई दिल्ली के कॉरपोरेट मेंबर थे। “सिटी टेक्निकल एडवाइजर ग्रुप”, पटना,के सदस्य थे। इसके अतिरिक्त “रीजनल सेंटर फॉर अर्बन एंड एनवायर्नमेंटल स्टडीज”, लखनऊ के रिसोर्स पर्सन थे। उन्होंने लगातार इन संस्थाओं के माध्यम से अनेक महत्वपूर्ण शोध और प्रकाशन किए।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने योगेंद्र त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए रहा कि उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत और पारिवारिक क्षति हुई है। वे बहुत ही सरल जीवन जीने वाले, मृदुभाषी और अध्ययन में लगे रहने वाले व्यक्ति थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार के लोगों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
बिहार और झारखंड भाजपा के क्षेत्रीय संगठन प्रभारी नागेंद्र जी ने कहा कि योगेंद्र त्रिपाठी एक उत्कृष्ट विद्वान, विलक्षण वक्ता और मिलनसार व्यक्ति थे। ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे।
बिहार भाजपा के संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया ने योगेंद्र त्रिपाठी को नगर विकास मामलों का एक हस्ताक्षर बताते हुए कहा कि उनके निधन से बिहार को पूर्ण क्षति हुई है।
पूर्व मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि त्रिपाठी सह्रदय, मिलनसार, मेहनती, उत्कृष्ट विद्वान थे। नगर विकास मामलों के बारे में उनकी कोई सानी नहीं थी। लोग उन्हें सदैव याद रखेंगे।
पटना नगर निगम के पूर्व उप महापौर विनय कुमार पप्पू ने कहा कि त्रिपाठी के निधन के साथ ही नगर विकास मामलों के एक युग का अंत हो गया। उनको इस विभाग से संबंधित बिहार के सभी एक्ट,विधेयको, कानूनों का संपूर्ण और कंठस्थ ज्ञान था। इस मामले के वे लिविंग encylcopedia थे। बिना लग लपेट के वे सरकार के सभी निर्णय पर अपनी राय रखा करते थे। सरकार की कमी और उसका निदान भी बताया करते थे। बिहार को उनकी कमी हमेशा खलेगी।
दीघा विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय चौरसिया ने कहा कि त्रिपाठी के निधन से मेरे ऊपर से अभिभावक का साया उठ गया।वह हमेशा संबंधित मामलों पर हम लोग को रास्ता दिखाया करते थे।
लोजपा रामविलास पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय ने कहा कि योगेंद्र त्रिपाठी सामाजिकता और विद्वता के अद्भुत मेल थे। मैंने सदैव उन्हें अभिभावक माना और स्थानीय स्वशासन के मामले में सदैव उनसे कुछ सीखते रहे। इस क्षेत्र में उनसे बड़ा जानकार मैंने नही देखा। ईश्वर उनकी आत्मा तो शांति दे।
विधायक रश्मि वर्मा ने त्रिपाठी को याद करते हुए कहा कि मैं जब-जब विधानसभा में रही तब तब उनसे मार्गदर्शन लेती रही। नगर विकास एवं स्थानीय स्व शासन के मामले में उनके द्वारा दिए गए सुझावों को विधानसभा में भी साझा किया।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि योगेंद्र त्रिपाठी ने हमेशा नगर विकास के मामलों में राजनीति से ऊपर उठकर समस्याओं को रखा करते थे और उसका व्यवहारिक निधान भी बताया करते थे। उनके जाने से इस क्षेत्र में जो खालीपन आया है, उसकी पूर्ति तत्काल संभव नहीं है।
जदयू प्रवक्ता रणवीर नंदन ने योगेंद्र त्रिपाठी के निधन पर शोक दुख करते हुए कहा कि उनके निधन से एक बड़ी सामाजिक क्षति हो गई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता साबिर अली ने त्रिपाठी के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए शोक व्यक्त किया है।
चिति, बिहार के संयोजक कृष्णकांत ओझा, विश्व स्वाद केंद्र के संयोजक संजीव कुमार, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मनीष कुमार तिवारी, विधान पार्षद प्रमोद चंद्रवंशी, विधायक कुंदन कुमार, पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी, केएन सहाय इंस्टिट्यूट के निर्मल श्रीवास्तव, गंगा समग्र के शंभूनाथ पांडेय, ओपी त्रिपाठी, एसपी त्रिपाठी, सुरेंद्र तिवारी, अमर त्रिपाठी, शशि, निशी, किरण,वाचस्पति मिश्रा, मुक्तिनारायण मिश्रा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।