शिक्षा विकास का मूल और बिहार में शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं- आनंद माधव
समाज में बदलाव लाने हेतु नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदलना होगा
मुजफ्फरपुर : समाज में बदलाव तभी आ सकता है, जब नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदला जाय। कलम सत्याग्रह मंच का निर्माण बिहार में शिक्षा को मुख्य मुद्दे के रूप में स्थापित करने कि लिये किया गया है। बिहार में शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कभी तिरहुत प्रमंडल शिक्षा के क्षेत्र में एक समृद्ध प्रमंडल माना जाता था, लेकिन आज यहाँ शिक्षा की अत्यंत ही बदतर स्थिति है। उक्त बातें कलम सत्याग्रह अभियान के संयोजक आनन्द माधव ने ‘कलम सत्याग्रह’ अभियान के तहत “बिहार में शिक्षा व्यवस्था एवं स्थिति पर संवाद” विषय पर प्रमंडलीय संवाद के दौरान मुजफ्फरपुर में कही। इस संवाद में तिरहुत प्रमंडल के सभी छह जिलों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राजनीति, शिक्षाविद, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।
आनंद माधव ने कहा कि इस प्रमंडल में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्यां 13759 है, लेकिन अगर उनकी स्थिति पर एक नजर डालें हैं तो वह भयावह है। 37% स्कूलों को अपनी जमीन नहीं है।48.4% स्कूल में लाइब्रेरी उपलब्ध नहीं है और 95.2% स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं है। 97.9% स्कूल में इंटेरनेन्ट नहीं है, और 96.2% स्कूल में कंप्यूटर नहीं है, पर कहतें हैं कि हम डिजिटल युग में रह रहें हैं। 72.7% स्कूल में कोई मेडिकल चेक अप सुविधा उपलब्ध नहीं है। 60.3% स्कूल में उस स्कूल के मुखिया यानी प्रधानाध्यापक के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है। 49.4 % स्कूल में खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है। नो वर्किंग इलेक्ट्रिसिटी वाले स्कूलों की संख्या मात्र 23 % है। 20.7% स्कूल में हाथ धोने की सुविधा नहीं है और हम स्वच्छता अभियान की बात करतें है। दिव्यांगों के लिए 18.4% स्कूल में रैम्प उपलब्ध नहीं है। 62% स्कूल में हैंड रेल (रेलिंग) की सुविधा नहीं है।
दूसरी ओर तिरहुत प्रमंडल के विश्वविद्यालय में परीक्षा एवं सत्र दोनों दो-दो तीन-तीन साल लंबित चल रहे हैं। कलम सत्याग्रह आज अपनी प्रतिबद्धता दुहराता है और यह तय करता है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने तक हम अपना अभियान जारी रखेंगे और अगर परिस्थिति नहीं बदली तो ये अभियान आन्दोलन का भी रूप ले सकता है।
कलम सत्याग्रह की पृष्ठभूमि बताते हुए आरटीआई फोरम के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार राय ने कहा कि बिहार के शिक्षा एवं मानव विकास से जुड़े विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रुप से बिहार में शिक्षा की बदहाली पर चिंता प्रकट करते हुए एक साथ नागरिक आंदोलन की परिकल्पना की है। सबका यह मानना है कि वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। नीति आयोग की रिपोर्ट में भी लगातार बिहार को निचले या नीचे से दूसरे स्थान पर दिखाया जा रहा है। इन्हीं सब मुद्दों पर एकजुट होकर नागरिक आंदोलन की परिकल्पना के रूप में कलम सत्याग्रह की शुरुआत की गई है।
अशिक्षा ही सारी समस्याओं की जड़
उन्होंने बताया कि यह अभियान हर प्रमंडल से होते हुए हर जिले और प्रखंडों तक जाएगा। हर विश्वविद्यालय, हर कॉलेज पहुंचेगा।बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रो अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है। दक्षिण के प्रदेशों में तथा पंजाब में सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी से बेहतर है। अशिक्षा ही सारी समस्याओं की जड़ है। इसे दूर करनें के लिये सबको आगे आना होगा। आज हमारी शिक्षा प्रणाली आई सी यू में है। आइये हम सब मिलकर इसे सामान्य करें।
फादर जोस करियाकट ने कहा कि कलम सत्याग्रह के रूप में एक हम सब के पास एक मौका आया है। ये अंधकार में प्रकाश के एक किरण के समान है। शिक्षा का मुद्दा हम सबसे जुड़ा हुआ है, और शिक्षा सीधे रूप से हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि सब का जड़ है। इसे एक अभियान नहीं वरना एक जीवन शैली के रूप में हम सबको अपनाना होगा।
मुज़फ़्फ़रपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष के अरविंद मुकुल ने कहा कि कलम सत्याग्रह का उद्देश्य शिक्षा के लिये जन-भागीदारी, जन-अधिकारपत्र एवं जन-अंकेक्षण जन-आंदोलन द्वारा स्थापित करना है। हमसे इस अभियान के साथ तन मन धन से है। संवाद में दलित अधिकार मंच के कपिलेश्वर राम ने कहा कि क़लम सत्याग्रह आज संविधान को अक्षुण्ण रखने का एक बड़ा माध्यम बन गया है। ज्ञान का दीप जलेगा तभी समाज विकास की ओर अग्रसर होगा। मुज़फ़्फ़रपुर युवा कॉंग्रेस के आनन्द कौशल, समाजसेवी अरविंद कुमार, वंदना शर्मा, सतीश कुमार, शशी प्रताप सिंह, नवल भक्त, दीनबंधु क्रांतिकारी, गणेश पासवान, ब्रजभूषण, आनन्द पटेल, संजय कुमार, मनीष कुमार, मुरलीधर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।