शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा अन्य कार्य करते रहे तो शिक्षा व्यवस्था पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव : शिक्षक संगठन
पटना : बिहार में शिक्षकों को मिलने वाली ड्यूटी हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा हैं, चाहे वह जनगणना हो, मतगणना हो या पशुगणनाना हो। अब तो शराबी को पकड़वाना और खुले में शौच करने वालों पर निगरानी करना भी उनकी काम में शामिल हो चुका है। अब इस साल, श्रावणी मेला के अवसर पर बांका जिला प्रशासन ने शिक्षकों को अब एक नई जिम्मेदारी सौंपी है। अब इन शिक्षकों को श्रावणी मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले शिव भक्तों का मनोरंजन करना हैं।
इन शिक्षकों को गायन और वादन के माध्यम से कांवरियों को नचवाना हैं ताकि उनकी थकान कम हो सके। इसके लिए हाईस्कूल के दो दर्जन से अधिक संगीत शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है जिन्हे बुधवार को आडिशन द्वारा चुना गया। इन चुने हुए शिक्षकों की टीम को प्रशासन कांवरिया पथ पर भेजेगा। इससे पहले कांवरिया पथ पर मनोरंजन का कार्य दूरदर्शन और आकाशवाणी के कलाकारों द्वारा होता था। पहली बार हाईस्कूल के संगीत शिक्षकों को पढ़ाई छोड़कर कांवरियों की सेवा करने की ड्यूटी दे दी गई है। संगीत शिक्षक ही इस मंच को 15 दिन चलाएंगे और इसके अलावा 15 दिन अन्य स्थानीय कलाकारों को कांवरियों के मनोरंजन की जिम्मेदारी दी गई है।
आपको बता दे की प्रशासन के इस निर्णय के बाद शिक्षकों के कई संगठनों ने सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न उठाना शुरू कर दिया हैं। उनका कहना है कि अगर शिक्षकों से पढ़ाने से ज्यादा ऐसे ही अन्य कार्य करवाते रहे तो इससे शिक्षा व्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं।