औरंगाबाद : विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बुधवार को गुरु पूर्णिया के मौके पर भगवान वेदव्यास आश्रम में आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु के प्रति श्रद्धा, नम्रता, विनय और आदर के बिना हममें धर्म-भाव पनप ही नहीं सकता। यह एक महत्वपूर्ण बात है कि जिन देशों में गुरु और शिष्य में इस प्रकार का संबंध विद्यमान है, केवल वहीं असाधारण आध्यात्मिक पुरुष उत्पन्न हुए हैं, और जिन देशों में इस प्रकार गुरु-शिष्य संबंधों की उपेक्षा हुई है, वहां धर्मगुरु एक वक्ता मात्र रह गया है।
उन्होंने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि प्राचीन काल से शिक्षा और गुरु का अपना स्थान है। शिक्षा के लिए एक गुरु आवश्यक है। सहनी ने कहा कि गुरु की भूमिका भारत में केवल आध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है, देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है। अनादिकाल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है। अतः सद्गुरु की ऐसी महिमा के कारण उसका व्यक्तित्व माता-पिता से भी ऊपर है।