गंगा दशहरा के पुण्य अवसर पर श्रद्धालुओं ने धार्मिक नगरी चिरांद, गंगा,सरयू व सोन के संगम तट पर लगाई आस्‍था की डुबकी 

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पटना : धार्मिक नगरी चिरांद में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। गंगा और सरयू दोनों नदियां देवतात्मा हिमालय से निकली है, यह दोनों सगी बहन भी है। परमात्मा की भक्ति प्रदान करने वाली गंगा, भगवान श्री राम की कीर्ति सरजू जी के साथ यहां देवाधिदेव भगवान शंकर के स्वरूप सोन नद का यह संगम है। यह संगम चतुष्टय पुरुषार्थ यानी धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष को प्रदान करने वाला है, अतः यहां गंगा जयंती यानी गंगा दशहरा से लेकर सरयू जयंती जेष्ठ पूर्णिमा तक स्नान, पूजा व तप साधना का विशेष महत्व है।

गंगा दशहरा के मौके पर चिरान्द के बंगाली बाबा घाट, तिवारी घाट, जहाज घाट, मेला घाट तथा डोरीगंज घाट पर हजारों लोगों ने गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई है। इस मौके पर श्रधालूओं ने मां गंगा से अपने और अपने परिवार के लिए मंगलकामना के लिए माता गंगा से आशिर्वाद मांगा। सुबह से ही गंगा घाटों पर गंगा स्नान करने आए लोगों का तांता लगा हुआ था। गंगा दशहरा के दिन लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं।

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गंगा दशहरा के मौके पर हजारों श्रद्धालुओ ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद नदी किनारे हवन और पूजा किया। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। हिंदुओं में गंगा दशहरा का बहुत महत्व होता है। पुराणों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा का जन्म हुआ था, इसलिए गंगा नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है।

गंगा दशहरा का काफी महात्म्य है। कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर आस्था की डुबकी लगाने से मां गंगे पापों से मुक्त कर देती हैं। गंगा में स्नान करने से लोगों को न सिर्फ मन की शांति मिलती है, बल्कि इस दिन दान करने का भी खास महत्व होता है। अगर गंगा के किसी घाट तक पहुंचने में असमर्थ हैं तो आप घर के शीतल जल से भी स्नान कर सकते हैं। इस दिन गंगा सरयू और सोन के संगम पर स्नान का विशेष महत्व है जिसका वर्णन रामचरितमानस वह रामायण जैसे ग्रंथों में है

रामचरितमानस के बालकांड में खुद गोस्वामी तुलसीदास जी इसका वर्णन किए हैं।

राम भगति सुर सरित ही जाइ।

मिली सुकीरती सरयू सुहाइ

सानूज राम समर जस पावन

मिलेउ महानदी सोन सुहावन

जुग बिच भगति देव धुनी धारा।

सोहित सहित सुविरति बिचारा ।

त्रिविध त्रास त्रासक तीन मुहानी।

ऐसे में ऐसे पुण्य जगह पर गंगा स्नान करने का बहुत ही महत्त्व है।

निवेदिता शक्तिमान इस दिन विष्णुपदी, पुण्यसलिला मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ, इसलिए यह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) या लोकभाषा में जेठ का दशहरा के नाम से भी प्रचलित है। गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को पहाड़ों से उतरकर मां गंगा हरिद्वार ब्रह्मकुंड में आईं थीं और तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाने लगा। मान्यता है कि गंगावतरण की इस पावन तिथि के दिन गंगा में स्नान करना बेहद कल्याणकारी है। गंगा दशहरा पर्व का महत्व स्नान और दान से होता है।

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