राष्ट्रपति चुनाव : दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों की दुहाई देने वाली राजद को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए- सुमो

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पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने द्रौपदी मुर्मू बिहार आने और राष्ट्रपति चुनाव हेतु राजद के स्टैंड को लेकर कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार को जब राष्ट्रपति बनाने का मौका मिला तो एक मुस्लिम को राष्ट्रपति बनाया। नरेंद्र मोदी जी को दो बार मौका मिला तो एक बार दलित और दूसरी बार आदिवासी महिला का नाम प्रस्तावित किया है।

सुमो ने कहा कि आजादी के बाद देश की पहली आदिवासी महिला की उम्मीदवारी का पूरे देश ने स्वागत किया है। गैर एनडीए दल भी समर्थन देने के लिए आगे आ रहे हैं। पहले अकाली दल और अब कर्नाटक की जेडी(एस) जिसके नेता पूर्व प्रधानमंत्री श्री देवगौडा हैं, ने भी समर्थन देने की घोषणा की है।

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सुशील मोदी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा भी दुविधा में है। यशवंत सिन्हा के नामांकन में झामुमो शामिल नहीं हुई। संभावना है कि झामुमो द्रोपदी मुर्मू को अपना समर्थन देगी। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी यह कहना पड़ा कि यदि भाजपा द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के पूर्व बातचीत की होती तो वह भी श्रीमती मुर्मू के नाम पर विचार करती।

दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों की दुहाई देने वाली राजद को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। राजद की अग्नि परीक्षा है कि वह एक आदिवासी महिला का समर्थन करती है या किसी अन्य का। श्रीमती मुर्मू केवल आदिवासी महिला ही नहीं है बल्कि उड़ीसा की एक आदिवासी बहुल जिले मयूरभंज के रायरंगपुर नगर निगम के उपाध्यक्ष, स्कूल शिक्षिका, राज्य सरकार में मंत्री, राज्यपाल से होते हुए राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की संघर्षशील यात्रा की परिणति है।

अपने 2 जवान बेटों और पति को खोने के बाद भी समाज सेवा के पथ से कभी विरत नहीं हुई। ऐसी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार का 5 जुलाई को बिहार आगमन पर हार्दिक स्वागत है।

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