“पानी रे पानी” के लिए किसी एनजीओ की जरूरत नहीं, अपने स्तर पर कार्य प्रारंभ करें : कुशवाहा
पटना : “पानी रे पानी” अभियान से जुड़कर पर्यावरण रक्षा कार्य में सक्रिय कार्यकर्ताओं के सम्मान में आज मंगलवार को ईको पार्क के समीप पर्यावरण कार्यकर्ता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जदयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पटना विवि के पर्यावरण एवं समाज शास्त्र के छात्रों समेत बी० डी० कालेज, जे० डी० विमेंस कालेज के 278 विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित और उत्साहवर्द्धन किया।
जनभागीदारी से पानी रे पानी को बनाया जा सकता है सफल
पानी रे पानी अभियान के कार्यों की चर्चा करते हुये कुशवाहा ने कहा कि राज्य के दूरदराज के गांवों में जाकर जनभागीदारी से पानी की समस्या को दूर करना एक अनुकरणीय उदाहरण है। इसी दौरान उन्होंने नवादा के कौआकोल स्थित आदिवासी बहुल इलाके में भ्रमण के दौरान जनभागीदारी से किये गये कार्यों के अनुभव पर भी विस्तार से चर्चा की, और कहा कि नक्सल प्रभावित इलाके में जाकर आदिवासी समुदाय के बीच काम कर “पानी रे पानी” अभियान के साथियों ने यह साबित किया है कि यदि पर्यावरण के लिये आप चिंतित है, तो आप अपने स्तर पर काम करना प्रारंभ किजिये, उसके लिये कोई एनजीओ बनाने की जरूरत नहीं है।
भूगर्भ से पानी निकालने की गति तीव्र लेकिन, पुनर्भरण की ओर गम्भीरता का अभाव
आगे उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से देश पूरी तरह से प्रभावित है और बिहार में बाढ और सुखाड दोनों का गम्भीर प्रभाव दिखाई देता है। भूगर्भ से पानी निकालने की गति तीव्र है, पुनर्भरण की ओर ध्यान अपर्याप्त है। इस समस्या से सभी परिचित हैं, किंतु इसको लेकर गम्भीरता के अभाव मे समाज उदासीन होता चला जा रहा है। बिहार के जल संपन्न कहलाने वाले इलाके भी जल संकटग्रस्त क्षेत्र की सूची में शामिल होने की राह में है, दरअसल पानी की मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर दिखने लगा है। हालांकि राज्य सरकार ने भूजल और सतही जलस्तर में समुचित सुधार और प्रबंधन हेतु कई नीतिगत और प्रभावी कदम उठाये हैं, जल जीवन हरियाली मिशन के तहत राज्य में अभियान चलाने का निर्णय उल्लेखनीय है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में समाज की भागीदारी महत्वपुर्ण होगी। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं से भविष्य के पर्यावरणीय चुनौतियों को लेकर सचेत रहने का आग्रह किया।
पूर्वज कम पढे-लिखे थे, लेकिन करते थे प्रकृति का सम्मान :
पानी रे पानी अभियान के संयोजक पंकज मालवीय ने कहा कि समान विचार के लोगों ने आपसी सहयोग से इस अभियान की शुरूआत की है और विगत कई वर्षों में पानी और जंगल के संरक्षण व संवर्धन को लेकर सक्रिय है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज भले ही कम पढे-लिखे इंसान थे, लेकिन प्रकृति का सम्मान करना जानते थे। हमने विकास की दौड़ मे अपनी परम्पराओं को भुलाया है और उसका परिणाम सामने आने लगा है। इस अवसर पर भारतीय वन सेवा के अधिकारी अवधेश ओझा ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की चर्चा के बाद गाँव में रहने वालों की सोच है कि यह बड़े लोगों का चोंचला है, तभी तो 5 स्टार होटलों, AC कमरों में बैठ कर चर्चा होती है और हवाई यात्रा कर आम लोगों की चेतना को जागृत किया जाता है। ऐसे में इस समस्या की समझ जब तक गाँव तक नहीं पहुंचेगी, तब तक हालात में बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस बात को समझते हुए राज्य के सुदूरवर्ती इलाक़े में अभियान के तहत काम करना अनुकरणीय व प्रशंसनीय है।